मनीष गोधा, जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगले खाली कराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मामले में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यहां की सरकार के लिए धर्मसंकट की स्थिति खड़ी कर दी है। गहलोत ने हाल में अपने निजी सचिव के जरिए सरकार से इस बारे में राजस्थान में भी नीति स्पष्ट करने को कहा है और पूछा है कि क्या वे भी बंगला खाली कर दें? सरकार के लिए धर्म संकट की स्थिति इसलिए है कि मुख्मयंत्री वसुंधरा राजे खुद राजस्थान के मुख्यमंत्री के लिए निर्धारित आवास में नहीं रहकर एक दूसरे बंगले में रह रही है। यह बंगला उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में आवंटित हुआ था। निर्धारित आवास खाली पड़ा है।
गहलोत के समय ही दी गई थीं कई सुविधाएं
राजस्थान में गहलोत के पहले कार्यकाल के दौरान एक कैबिनेट निर्णय के जरिए पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास दिए जाने का निर्णय किया गया था। उस समय राजस्थान में चार पूर्व मुख्यमंत्री थे। फिर गहलोत के ही दूसरे कार्यकाल यानी पिछली सरकार के समय कई अन्य तरह की सुविधाएं दिए जाने का आदेश जारी किया गया। गहलोत के पिछले कार्यकाल के समय ही मौजूदा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को जयपुर में बंगला आवंटित हुआ। राजे ने इस बंगले में कई निर्माण कार्य कराए और फिर से मुख्यमंत्री बनने के बाद इसे ही मुख्यमंत्री निवास बना लिया। निर्धारित मुख्यमंत्री आवास अभी भी खाली पड़ा है।
बनेगी अजीब स्थिति
सूत्रों का कहना है कि सरकार गहलोत के पत्र के आधार पर कोई नीति स्पष्ट करती है या गहलोत को बंगला खाली करने को कहती है तो या तो राजे को मौजूदा बंगला खाली कर मुख्यमंत्री के लिए निर्धारित आवास में जाना होगा या जो आवास मुख्यमंत्री के लिए निर्धारित है, उसे सामान्य आवास बनाना होगा, क्योंकि जब तक उसे मुख्यमंत्री निवास के रूप में चिन्हित किया हुआ है तब तक किसी अन्य को उसे आवंटित नहीं किया जा सकता।
यही कारण है कि मुख्यमंत्री निवास अभी भी खाली पड़ा है। इस मामले में फिलहाल सरकार के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति का इंतजार कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि आदेश की प्रति देखने के बाद ही इस मामले को आगे बढ़ाया जाएगा।
ये सुविधाएं मिलती हैं अभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को
गहलोत सरकार के समय 26 फरवरी 2013 को जारी आदेश के अनुसार राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्रियों को निम्न सुविधाएं मिलती है
जयपुर या इच्छित जिला मुख्यालय पर सरकारी निवास।
निजी सचिव-मंत्रियों के अनुरूप प्रोटोकॉल।
एक वरिष्ठ और कनिष्ठ लिपिक।
दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी
सरकारी गाड़ी, ड्राइवर और प्रतिमाह 250 लीटर पेट्रोल।
एक हजार यूनिट की मु्फ्त बिजली।