नई दिल्ली Supreme Court Padmanabhaswamy Temple। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसले में कहा है कि केरल के मशहूर पद्मनाभस्वामी मंदिर ट्रस्ट का ऑडिट कराया जाएगा। गौरतलब है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी कर ली थी और फैसला बीते हफ्ते सुरक्षित रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने श्रीपद्मनाभ स्वामी मंदिर ट्रस्ट की 25 साल के ऑडिट किए जाने के आदेश से छूट की मांग वाली याचिका खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ,साफ कहा है कि ट्रस्ट को ऑडिट नहीं कराने संबंधित छूट नहीं दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि साल 2020 का आदेश सिर्फ मंदिर ही नहीं, बल्कि ट्रस्ट पर भी लागू है। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट के बीते 25 साल के खातों का ऑडिट तीन महीने में करने का आदेश दिया है।
Supreme Court says the audit ordered by it last year was not confined only to the temple but the trust as well; says the audit should preferably be completed in 3 months
— ANI (@ANI) September 22, 2021
Supreme Court rejects application filed by Sree Padmanabha Swamy Temple Trust to exempt it from the audit of 25 years as ordered by the top court last year for the Sree Padmanabha Swamy Temple in Thiruvananthapuram pic.twitter.com/HB64ll4jyd
— ANI (@ANI) September 22, 2021
आखिर कितनी है श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के पास संपत्ति
देश के सबसे अधिक संपत्ति वाले श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के पास आखिर कुल कितनी संपत्ति है। इसके ऑडिट कराने के संबंध में दायर याचिका पर बीते शुक्रवार सुनवाई होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के खातों को बीते 25 सालों के रिकॉर्ड का ऑडिट कराने को लेकर सुनवाई लंबे समय से चल रही थी। न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की पीठ ने श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर ट्रस्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद पी दातार और मंदिर प्रशासन समिति के वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बंसल की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
मंदिर प्रशासन की जिम्मेदारी त्रावणकोर शाही परिवार के पास
आपको बता दें कि पिछले साल ही सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के प्रशासन की जिम्मेदार त्रावणकोर शाही परिवार की एक प्रशासनिक समिति को सौंप दिया था। श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर ट्रस्ट भी तत्कालीन त्रावणकोर शाही परिवार के द्वारा बनाया गया था। मंदिर के ऑडिट के लगी एक निजी सीए फर्म ने मंदिर ट्रस्ट से बीते 25 साल का आय व्यय का रिकॉर्ड जमा करने के लिए कहा था। इस के मद्देनजर ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मंदिर ट्रस्ट ने तर्क दिया था कि मंदिर के धार्मिक अनुष्ठानों के संचालन के लिए 1965 में गठित एक स्वतंत्र संस्था है और मंदिर के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन में मंदिर ट्रस्ट की कोई भूमिका नहीं है।
मंदिर के तहखानों में अभी भी 2 लाख करोड़ की संपत्ति का अनुमान
जून 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने पुरातत्व विभाग तथा अग्निशमन विभाग को निर्देश दिया कि मंदिर के गुप्त तहखाने को खोलें और उसमें रखी वस्तुओं का निरीक्षण करें। ऐसा संभावना जताई जा रही है कि मंदिर के इन तहखानों में करीब 2 लाख करोड़ की संपत्ति हो सकती है। हालांकि अभी भी तहखाने-बी को नहीं खोला गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तहखाने को खोलने पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि ये पूरी संपत्ति मंदिर की है। इस पर किसी अन्य पक्ष का अधिकार नहीं होगा।