केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR ने COVID-19 से जुड़ी मौतों के लिए "आधिकारिक दस्तावेज" जारी करने के लिए गाइडलाइन बनाई है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ठ के समक्ष एक हलफनामा दायर किया है, जिसके अनुसार भारत के महापंजीयक के कार्यालय ने मृतक के परिजनों को मेडिकल सर्टिफिकेट, जिसमें मौत की वजह बताई जाती है के लिए एक सर्कुलर जारी किया था।
केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार, जिन मरीजों का कोरोना टेस्ट RT-PCR, रैपिड-एंटीजन टेस्ट या मॉलिक्युलर टेस्ट के जरिए किया गया हो या किसी अस्पताल में इलाज करने वाले डॉक्टर की जांच में उसे कोरोना पॉजिटिव पाया गया हो। उसे ही कोरोना पॉजिटिव माना जाएगा।
कोरोना मौतों में शामिल नहीं होंगी ये मौतें
गाइडलाइन के अनुसार जिन मौतों को Covid-19 की मौत नहीं माना जाएगा, उनमें जहर, आत्महत्या, हत्या और दुर्घटना के कारण हुई मौतें शामिल हैं, भले ही मौत के बाद उनका कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया हो।
कोरोना मौतों में शामिल होंगी ये मौतें
गाइडलाइन के अनुसार, “COVID-19 के जो मामले हल नहीं हुए हैं और या तो अस्पताल की सेटिंग में या घर पर मरीज की मौत हुई है। इन मामलों में अगर पंजीकरण प्राधिकारी को फॉर्म 4 और 4 ए में मृत्यु के कारण का मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किया गया है। जो कि जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 की धारा 10 के तहत आवश्यक है, तो इन मामलों को कोरोना मौत के रूप में माना जाएगा।” भारत के राजिट्रार जनरल सभी भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य रजिस्ट्रारों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेंगे।
कोरोना टेस्ट के 30 दिन बाद तक कोविड डेथ का प्रावधान
गाइडलाइन में यह भी उल्लेख किया गया है कि ICMR की स्टडी के अनुसार कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद 25 दिनों के भीतर 95 प्रतिशत मौतें होती हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, गाइडलाइन में कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आने के 30 दिन बाद तक उस व्यक्ति की मौत को कोरोना से हुई मौत में शामिल किया जाएगा। भले ही किसी व्यक्ति की मौक अस्पताल से बाहर हुई हो, अगर उसका कोरोना का इलाज चल रहा था तो उसकी मौत कोरोना मौतों में गिनी जाएगी। जिन मामलों में कोई एमसीसीडी उपलब्ध नहीं है या परिजन मृत्यु के कारण से असंतुष्ट हैं। ऐसे मामलों को जिला स्तरीय समिति नियंत्रित करेगी।