ब्रज में होती है रावण की पूजा
दशहरा पर पूरे देश में बुराई के प्रतीक के रूप में रावण का पुतला दहन होगा, पर ब्रज में उनके वंशज पूजा करते हैं।
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Publish Date: Thu, 02 Oct 2014 07:51:46 PM (IST)
Updated Date: Fri, 03 Oct 2014 08:14:45 AM (IST)
मथुरा। दशहरा पर पूरे देश में बुराई के प्रतीक के रूप में रावण का पुतला दहन होगा, पर ब्रज में उनके वंशज न केवल रावण की पूजा करते हैं बल्कि पुतला दहन का विरोध भी करते हैं। लंकेश्र्वर के वंशज व समर्थक शुक्रवार को दशहरा उत्सव नहीं मनाएंगे। दरअसल, सारस्वत समाज के लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं। उसे प्रकांड विद्वान, बलशाली, भविष्य ज्ञाता, मर्यादा में रहने वाला ब्राह्माण मानकर उसके सकारात्मक पहलुओं का गुणगान करते हैं।
पुतला दहन कार्यक्रम में शामिल होने से इस समाज के लोग परहेज करते हैं। वे इस अवसर पर यमुना की आरती, प्रसाद वितरण कर रावण के स्वरूप की पूजा-अर्चना करते रहे हैं। उनके घरों में दशहरा पर पकवान आदि नहीं बनते हैं। ब्रज में वृंदावन तथा यमुना पार स्थित गढ़ी गौंदपुर, नगला देवकरन, गोपी की नगरिया, गढ़ी हयातपुर, नगला रत्ती, कारब आदि तीन दर्जन गांवों में सारस्वत समाज के लोगों की खासी संख्या है। धर्म नगरी में रावण के पुतला दहन की परंपरा नहीं है।
राम-रावण युद्ध मंचन के समर्थक
सारस्वत समाज के लोग महज रावण के पुतला दहन का विरोध करते हैं, वे चाहते हैं कि अन्य समाज के लोग राम-रावण युद्ध का मंचन कर दशहरा उत्सव मनाया करें। लेकिन अन्य समाज के बहुसंख्यक लोग दशहरा पर बुराई के रूप में रावण का पुतला कर विजय उत्सव मनाते हैं।
रावण का अपमान बर्दाश्त नहीं
लंकेश्र्वर के वंशज व समर्थकों का कहना है कि उन्हें किसी हाल में रावण का अपमान बर्दाश्त नहीं है। गोपी की नगरिया निवासी संजय सारस्वत का कहना है कि हम राम भक्त भी हैं, लेकिन रावण का अपमान सहन नहीं कर सकते।