रंग लाया विंग कमांडर अनुपमा का संघर्ष
महिलाओं के लड़ाकू विमान उड़ाने का सपना पूरा होने जा रहा है। इस सपने को कहीं न कहीं विंग कमांडर अनुपमा जोशी ने पंख दिए।
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Publish Date: Sat, 24 Oct 2015 10:52:48 PM (IST)
Updated Date: Sat, 24 Oct 2015 10:56:30 PM (IST)
देहरादून। महिलाओं के लड़ाकू विमान उड़ाने का सपना पूरा होने जा रहा है। इस सपने को कहीं न कहीं विंग कमांडर अनुपमा जोशी ने पंख दिए। महिला अधिकारियों के लिए स्थाई कमीशन की उनकी लड़ाई इस मुकाम तक आ पहुंची है।
देहरादून निवासी विंग कमांडर अनुपमा जोशी ने वायु सेना में रहते हुए महिला अधिकारियों के अधिकारों की आवाज बुलंद की और अपने संघर्ष को अंजाम तक पहुंचाया। अनुपमा का 1992 में एयर फोर्स में चयन हुआ। इसके बाद वह अपनी मेहनत और जज्बे के बल पर आगे बढ़ती रहीं।
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पहले पांच साल की सर्विस के बाद उन्होंने आवाज उठाई तो उन्हें तीन साल और फिर तीन साल का एक्सटेंशन मिला। हर बार टुकड़ों में मिल रहे एक्सटेंशन से वह खिन्न आ गईं। उन्होंने 2002 में इसके लिए अपने सीनियर अधिकारियों से लिखित में जवाब मांगा।
यहां से कोई जवाब न मिलने पर चीफ को पत्र लिखकर जवाब मांगा। कहीं से कोई जवाब नहीं आया तो फिर उन्होंने इसके लिए कोर्ट में मुकदमा करने की ठान ली। 2006 में उन्होंने अन्य महिला अधिकारियों के साथ कोर्ट में याचिका दाखिल की।
कोर्ट ने इस केस की सुनवाई में नई भर्तियों को स्थाई कमीशन देने का फैसला दिया, लेकिन सेवारत महिला अधिकारियों का फैसला नहीं हो पाया। 2008 में वह रिटायर हो गईं, लेकिन उनका संघर्ष जारी रहा। इस बीच कुछ अन्य अधिकारियों ने भी सेना में तैनात महिलाओं को स्थाई कमीशन देने को मामला दायर किया।
इस पर हाई कोर्ट ने एक संयुक्त सुनवाई में महिला अधिकारियों के पक्ष में अपना निर्णय सुनाया। इस निर्णय के बाद अब सरकार ने महिलाओं को लड़ाकू विमान उड़ाने की अनुमति दे दी है।