What is Sengol: नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा सेंगोल, जानिए क्या है यह
What is Sengol: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई 2023 को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे।
By Arvind Dubey
Edited By: Arvind Dubey
Publish Date: Wed, 24 May 2023 12:21:08 PM (IST)
Updated Date: Fri, 26 May 2023 07:37:45 AM (IST)
What is Sengol: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि 28 मई 2023 को जब संसद के नए भवन का उद्घाटन किया जाएगा, तब उस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सेंगोल भी सौंप जाएगा। आजादी के अमृत महोत्सव पर दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमित शाह ने यह बात कही।
क्या होता है सेंगोल (What is Sengol)?
अमित शाह ने बताया कि सेंगोल अंग्रेजों से सत्ता मिलने का प्रतीक है। 14 अगस्त 1947 को पं. जवाहरलाल नेहरू को सेंगोल (दूसरे शब्दों में इसे राजदंड भी कहा जा सकता है) सौंगा गया था। तब लॉर्ड माउंट बैटेन ने पंडित नेहरू से सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया के बारे में पूछा, तो सी राजगोपालचारी ने सेंगोल की परंपरा के बारे में बताया था। इस तरह से सेंगोल की प्रक्रिया तय हुई थी। तब भी तमिलनाडु से पवित्र सेंगोल लाया गया था। इस बार भी सेंगोल तमिलनाडु से आएगा।
बकौल अमित शाह, 75 साल बाद आज देश के अधिकांश नागरिकों को सेंगोल के बारे में जानकारी नहीं है। सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक है। इतने साल तक यह जानकारी आम जनता से छिपाई गई। पीएम मोदी को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने पड़ताल करवाई और देश के सामने पूरा विवरण रखने का फैसला किया गया।
पवित्र सेंगोल तमिलनाडु से लाया जाएगा। उद्घाटन से समय प्रधानमंत्री मोदी को सौंपा जाएगा और फिर इसे अध्यक्ष के आसन के पास रखा जाएगा। सेंगोल के शीर्ष पर नंदी विराजमान है।
अमित शाह ने कहा कि इसे राजनीतिक दृष्टि से नहीं, बल्कि परंपरा के रूप में देखा जाना चाहिए। हमने संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह में आने के लिए सभी दलों को निमंत्रण भेजा है। वे राजनीति से ऊपर उठें और इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने।
पीएम मोदी करेंगे 60 हजार श्रम योगियों का सम्मान
इस मौके पर पीएम मोदी 60 हजार श्रम योगियों का सम्मान भी करेंगे। इन्हीं श्रम योगियों के अथक प्रयास से रिकॉर्ड समय में भवन बनकर तैयार हुआ है।
शाह ने कहा, 'आजादी का अमृत महोत्सव' के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री जी 28 मई को संसद का नवनिर्मित भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे। एक प्रकार से नया संसद भवन प्रधानमंत्री जी के दूरदर्शिता का प्रमाण है। जो नए भारत के निर्माण में हमारी सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का एक सुंदर प्रयास है।