एजेंसी, कश्मीर। कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बीच खबर सामने आई है कि संसद पर हमला करने वाले आतंकी अफजल गुरू का भाई भी विधानसभा चुनाव लड़ सकता है। अफजल गुरू को 2013 में फांसी की सजा दी गई थी।
उमर अब्दुल्ला ने तय किया है कि वह गांदरबल से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने 2002 में इस सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन पीडीपी से हार का सामना करना पड़ा था। साल 2008 में फिर वह इस सीट से लड़े, लेकिन इस बार उनको जीत मिली। 2014 में उन्होंने इस सीट से किनारा कर लिया था। वह सोनवार और बीरवाह से चुनाव लड़े थे। सोनवार से उनकी हार हुई थी, लेकिन बीरवाह से विधानसभा पहुंच गए थे।
जमाते इस्लामी पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है। उसके वरिष्ठ नेता सयार अहमद रेशी ने कुलगाम विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उतरने का फैसला किया है। उसने अपना नामांकन जमा कर दिया है।
सयार अहमद रेशी ने इस दौरान कहा कि वह कश्मीर में शांति का माहौल बनाना चाहते हैं। वह चुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि यहां से बुराईयों को खत्म करना है। इज्जत मिलेगी या नहीं यह सब अल्लाह के हाथ में हैं। मैं शिक्षक रहा हूं। मैंने हमेशा लोगों की भलाई के लिए काम किया है।
नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जमाते इस्लामी के कई नेता चुनाव लड़ रहे हैं। यह एक अच्छी खबर है। यह एक अच्छा कदम है कि वह पर्दे के पीछे किसी को समर्थन देने के बजाए खुद चुनावी मैदान में उतर रहे हैं।