सुप्रीम कोर्ट ने हिंदी में लिखी याचिका स्वीकार की
संविधान में मूल अधिकार से जुड़े अनुच्छेद का हवाला देकर मनवाई बात।
By
Edited By:
Publish Date: Thu, 28 Jan 2016 08:32:12 PM (IST)
Updated Date: Fri, 29 Jan 2016 04:00:16 AM (IST)
निर्भय सिंह, पटना। कड़े विरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट प्रशासन को हिंदी में लिखी याचिका स्वीकार करनी पड़ी। याचिका पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता ब्रह्मदेव प्रसाद ने दायर की है। प्रसाद पटना हाईकोर्ट में हिंदी में लिखी याचिका ही दायर करते हैं और हिंदी में ही बहस भी करते हैं। सुप्रीम कोर्ट में हिंदी में लिखी याचिका को स्वीकार करवाना चुनौती थी।
अधिवक्ता ब्रह्मदेव ने बताया कि वह पटना हाईकोर्ट द्वारा एक जनहित याचिका में पारित आदेश के खिलाफ 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट गए थे। हिंदी में लिखी याचिका को देख कर सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार कार्यालय नाराजगी जताई। उनसे अपनी याचिका का अंग्रेजी अनुवाद दाखिल करने को कहा गया।
प्रसाद ऐसा करने को तैयार नहीं हुए। तब रजिस्ट्रार ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 348 की बाध्यता के कारण हिंदी में याचिका नहीं दायर हो सकती। याचिकाकर्ता प्रसाद ने उन्हें संविधान के अनुच्छेद 300, 351 के साथ-साथ मूल अधिकार से जुड़े अनुच्छेद 13 एवं 19 को दिखाया, जिसमें हिंदी के साथ भेदभाव करने से मना किया गया है। आखिरकार उन्होंने अपनी बात मनवा ली।
महानिबंधक को सभी पहलुओं का अवलोकन करने के बाद अपने अधीनस्थ अधिकारियों को याचिका स्वीकार करने की अनुमति देनी पड़ी। संभावना है कि अगले महीने तक उनके मामले पर सुप्रीम कोर्ट को हिंदी में बहस सुननी होगी।