नई दिल्ली। दुनिया के सबसे ऊंचे और दुर्गम युद्ध क्षेत्र सियाचिन का दीदार आनेवाले समय भारतीय पर्यटक भी कर सकेंगे। जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद अब भारतीय सेना सियाचिन ग्लेशियर पर कुछ स्थानों को भारतीय नागरिकों के लिए खोलने की तैयारी कर रही है। राष्ट्रीय एकता और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिहाज से यह फैसला काफी अहम बताया जा रहा है। सियाचिन में पाकिस्तान और चीन दोनों की सीमा भारत के साथ मिलती है। इसलिए यहां हजारों भारतीय सैनिक हर वक्त तैनात रहते हैं। सामरिक रूप से बेहद अहम सियाचिन में ही भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी।
भारतीय सेना जल्द ही भारतीय पर्यटकों के लिए इस क्षेत्र को खोल सकती है। थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने हाल ही में सेना के आला अफसरों के सेमीनार में इसकी संभावना जताई थी। सियाचिन अब लद्दाख क्षेत्र में आता है जो केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है। ऐसे में यहां का प्रशासन अब सीधे तौर पर केंद्र सरकार की देखरेख में है। इस फैसले के पीछे भारतीय सेना का मकसद आम लोगों को सेना से जोड़ना भी है। सेना भारतीय जनता को दिखाना चाहती है कि जवान कितने मुश्किल हालात में सियाचिन में तैनात हैं। सूत्रों की मानें तो सेना प्रमुख बिपिन रावत ने भी इस मामले में खासी दिलचस्पी दिखाई है।
सैन् प्रमुख का मानना है कि आम लोग सेना से जुड़ना चाहते हैं और उनके बारे में गहराई से जानना चाहते हैं। सैन्य सूत्रों के मुताबिक सेना प्रमुख ने कहा कि सेना की तरफ से आम लोगों को प्रशिक्षण केंद्रों और संस्थानों में आने दिया जा रहा है। अब इस बात पर विचार किया जा रहा है कि लोगों को सियाचिन ग्लेशियर समेत सेना की कुछ अग्रिम चौकियों तक लाया जाए। अभी तक सेना की तरफ से किसी को वहां जाने की अनुमति नहीं है।
सेना की ओर से इस बात पर विचार चल रहा है कि आम लोगों को कहां तक और कितनी ऊंचाई तक आने की मंजूरी देना चाहिए। भारत पूरे 76 किलोमीटर लंबे सियाचिन ग्लेशियर और इसके सभी उपनदीय ग्लेशियरों पर अपना नियंत्रण रखता है। साथ ही साथ साल्टोरो रिज के पांच मुख्य पास पश्चिम ग्लेशियर-सिआ ला, बिलाफोंड ला, ग्याओंग ला, यर्म ला (6,100 मी) और चुलुंग ला (5,800 मी) का नियंत्रण भी भारत के पास है।
सेना के सूत्रों का कहना है कि लद्दाख और उसके आसपास तक आने वाले भारतीय प्रसिद्ध कारगिल के युद्ध के मोर्चों तक जाने देने की मांग करते रहते हैं, जैसे टाइगर हिल जहां से भारतीय सेना ने बड़ी ही बहादुरी और अदम्य साहस से पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार भगाया था। साल 2007 से भारत ने सियाचिन ग्लेशियर के बेस कैंप से सियाचिन के उच्च अक्षांशों पर ट्रैकिंग के लिए जाने को समय-समय पर नागरिकों को मंजूरी देना शुरू किया है। लेकिन इसके लिए हर बार परमिट और कड़े मापदंडों का पालन करना होता है। सियाचिन ग्लेशियर का बेस कैंप समुद्र तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर है, जबकि सियाचिन के और ऊंचे इलाके 21 हजार फीट से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित हैं।
सियाचिन पूर्वी काराकोरम रेंज पर स्थित है। यह हिमालय पर्वत श्रृंखला के 35.421226 डिग्री उत्तर, 77.109540डिग्री पूर्व, पर स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 5,753 मीटर है। इतनी ऊंचाई पर होने के कारण यहां तापमान साल भर बेहद कम रहता है। पारा -50 से लेकर -70 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इतनी ठंड में भारतीय जवान वहां पूरी मुस्तैद से साल भर डटे रहते हैं।