Quota within Quota: आरक्षण में जाति आधारित हिस्सेदारी संभव… SC का फैसला- ‘अनुसूचित जाति और जनजाति के भीतर सब-कैटेगरी बना सकते हैं राज्य’
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने आरक्षण पर दिए अपने फैसले में राज्यों को अनुसूचित जाति और जनजाति के भीतर सब-कैटेगरी बनाने की अनुमति दी है।
By Arvind Dubey
Publish Date: Thu, 01 Aug 2024 11:06:56 AM (IST)
Updated Date: Thu, 01 Aug 2024 12:15:54 PM (IST)
एजेंसी, नई दिल्ली (Quota within Quota)। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने आरक्षण पर दिए अपने फैसले में राज्यों को अनुसूचित जाति और जनजाति के भीतर सब-कैटेगरी बनाने की अनुमति दी है। इससे पहले 2004 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सब कैटेगरी या सब कोटा बनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। अब गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने अपना फैसला सुनाया।
जजों ने बहुमत के आधार पर यह फैसला सुनाया है। जजों ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति की जरूरत के मुताबिक सब-कैटेगरी बनाई जाना चाहिए।
उदाहरण देकर जज ने समझाई जरूरत
अपना फैसला सुनाते हुए एक जज ने उदाहरण भी दिया। जज ने कहा कि यह पूरी व्यवस्था एक ट्रेन की बोगी की तरह है। जो व्यक्ति बोगी में घुसने में सफल रहता है, तो फिर बाकियों को अंदर आने से रोकने की कोशिश करता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसला की बड़ी बातें
- SC की 7 जजों की बेंच ने 6-1 पर क्लासिफिकेशन ऑफ कास्ट पर फैसला दिया।
- आरक्षण में उन लोगों को प्राथमिकता दी जाए, जिनको वास्तव में इसकी जरूरत है।
- इसका आधार क्या होना चाहिए, यह तय करने का अधिकार राज्यों को दिया गया है।
- जजों ने कहा कि सब कैटेगरी बनाते समय क्रीमीलेयर को भी ध्यान में रखना होगा।