मल्टीमीडिया डेस्क। भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को निधन हो गया। जेटली एक ख्यात अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके वित्त मंत्री रहते उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए, जो मिसाल हैं। एक नजर अरुण जेटली के सफर पर -
जेटली को पिता से मिला वकालत का हुनर
अरुण जेटली का जन्म 28 दिसंबर, 1952 को हुआ। पिता महाराज किशन जेटली एक जाने-माने वकील थे और माता का नाम रतन प्रभा जेटली था। जेटली की स्कूली शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल, नई दिल्ली में 1960-69 के दौरान हुई। उन्होंने 1973 में श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली से वाणिज्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की। सत्तर के दशक में दिल्ली विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्र कार्यकर्ता रहे। 1974 में विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे।
संगीता जी से विवाह, रोहन और सोनाली के पिता
जेटली ने 24 मई 1982 को संगीता डोगरा से विवाह किया और उनके दो बच्चे हैं- बेटा रोहन और बेटी सोनाली।
एक सफल पेशेवर वकील
एलएलबी की डिग्री लेने के बाद 1977 से सर्वोच्च न्यायालय और देश के कई उच्च न्यायालयों में वकालत की। जनवरी 1990 में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया। 1989 में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया। जून 1998 में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के लिए भारत सरकार की ओर से एक प्रतिनिधि थे, जहां ड्रग्स और मनी लॉन्ड्रिंग संबंधी कानून के निर्माण को मंजूरी दी गई थी।
संघर्ष और उत्कर्ष के दिन
आपातकाल की 1975 से 1977 की अवधि के दौरान जेटली लोकतांत्रिक युवा मोर्चा के संयोजक के रूप में काम कर रहे थे। सरकार ने पकड़ कर उन्हें पहले अंबाला जेल और फिर तिहाड़ जेल, दिल्ली में रखा था। 1977 में जब कांग्रेस को आम चुनावों में अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा, तब जेटली को दिल्ली ABVP के अध्यक्ष और ABVP का अखिल भारतीय सचिव नियुक्त किया गए थे। बाद में उन्होंने अध्यक्ष के रूप में भाजपा की युवा शाखा का नेतृत्व किया।
जेटली ने संभाले कई महत्वपूर्ण मंत्रालय
जेटली 1991 से भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य रहे। 13 अक्टूबर 1999 को वाजपेयी सरकार में उन्हें सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया। विनिवेश नीति को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए पहली बार बनाया गया एक नया मंत्रालय, विनिवेश मंत्रालय में उन्हें राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी नियुक्त किया गया था। जेटली ने 23 जुलाई 2000 को कानून मंत्रालय, न्याय और कंपनी मामलों का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला। बाद में, वे नवंबर 2000 में कैबिनेट मंत्री बनेऔर साथ ही साथ कानून, न्याय और कंपनी मामलों और जहाजरानी मंत्री का पदभार भी संभाला। उन्हें 3 जून 2009 को राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में चुना गया।
मोदी सरकार के प्रमुख स्तंभ
26 मई 2014 को जेटली नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री और 2014 से 2017 के बीच रक्षा मंत्री और 2014 से 2016 के बीच सूचना और प्रसारण मंत्री भी रहे। इस दौरान उनकी किडनी का ऑपरेशन हुआ। हालांकि इसके बावजूद सेहत बिगड़ती रही। यही कारण रहा कि उन्होंने 2019 का चुनाव लड़ने और सरकार का हिस्सा बनने से इन्कार कर दिया था।
यह भी पढ़ें: नर्मदा में बाढ़ का खतरा बढ़ा, तवा बांध सभी 13 गेट खोले
अरुण जेटली को हमेशा जिंदा रखेंगी उनकी ये जिंदादिल तस्वीरें -
(दुर्भाग्य से भाजपा के ये तीनों दिग्गज नेता आज इस दुनिया में नहीं रहे।)