Ram Mandir Bhumi Pujan: भारतीय जनमानस की आस्था के प्रतीक श्रीराम मंदिर के निर्माण के इंतजार की घड़ियां जल्द ही खत्म होने वाली है। जमीन के समतलीकरण का कार्य किया जा चुका है और अब शिलान्यास के साथ ही श्रीराम के जन्मस्थल पर आस्था, विश्वास और सनातन संस्कृति का प्रतीक भव्य देवालय के निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा। मंदिर कैसा बनेगा, इस बात का फैसला पहले लिया जा चुका है, लेकिन अब इसके मूल स्वरूप में थोड़ी तब्दीली कर इसको और भव्य रूप में बनाने का निर्णय किया गया है।
तीन मंजिला होगा मंदिर
पहले स्वीकृत किए गए राम मंदिर के मॉडल में अब लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई तीनों को बढ़ा दिया गया है। मंदिर पहले दो मंजिला बनाया जा रहा था अब वह तीन मंजिला बनाया जा रहा है इसलिए इसकी ऊंचाई में 33 फीट का इजाफा किया गया है। पुराने मॉडल में मंदिर की लंबाई करीब 268 फीट थी लेकिन नए मॉडल में यह 280 से 300 फीट तक होगी। मंदिर की ऊंचाई को 128 से बढ़ाकर 161 फीट किया गया है।
मंदिर में होगें तीन की बजाय पांच गुंबद
मंदिर के प्राचीन मॉडल में तीन गुंबद प्रस्तावित थे, लेकिन नया मंदिर पांच गुंबदों वाला होगा। मंदिर के प्रत्येक तल पर 106 स्तंभ होंगे। इस तरह कुल मिलाकर पूरे मंदिर में 318 स्तंभ होंगे। मंदिर की नीव 15 फीट गहरी होगी और इसकी नींव में 2-2 फीट की कुल आठ लेयर होगी। इसकी नींव में चांदी की ईंटें रखी जाएगी। मंदिर निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। 10 एकड़ में राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा और शेष बची 57 एकड़ जमीन को राम मंदिर परिसर के रूप में विकसित किया जाएगा।
वाल्मीकि रामायण में उल्लेखित पौधों का होगा रोपण
राम मंदिर परिसर में वाल्मीकि रामायण में उल्लेखित वृक्षों का रोपण किया जाएगा और इनके नाम भी वाल्मीकि रामायण के आधार पर रखे जाएंगे। इसके साथ ही 27 नक्षत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले शुभ पौधों का रोपण किया जाएगा। जिससे लोग अपने जन्मदिवस पर इनके सानिध्य में कुछ वक्त गुजार सके। परिसर में श्रीराम के जीवन पर राम कथा कुंज पार्क का निर्माण किया जाएगा। परिसर में शेषावतार मंदिर का भी निर्माण किया जाएगा। खुदाई में मिले हुए प्राचीन मंदिर के अवशेषों को एक संग्रहालय में रखा जाएगा। परिसर में गोशाला, धर्मशाला और अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों का भी निर्माण किया जाएगा।
नींव में रखा जाएगा जानकारियों वाला ताम्रपत्र
मंदिर की नीव में एक ताम्रपत्र रखा जाएगा, जिसके ऊपर संस्कृत भाषा में मंदिर का नाम, स्थान, नक्षत्र आदि शास्त्रोक्त जानकारी लिखी जाएगी। सभी प्रमुख तीर्तस्थलों की मिट्टी और पवित्र नदियों के जल से भूमि का शुद्धिकरण किया जाएगा।