डिटिजटल डेस्क, नई दिल्ली। तीन नवंबर को राजस्थान के चुनाव नतीजों में जनता ने राज बदलकर भाजपा को बहुमत दे दिया। इस जनमत से कांग्रेस के अंदर अब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बयानबाजी भी होने लगी है। अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने उन पर हमला कर किया। उन्होंने हार के लिए अशोक गहलोत को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत कभी बदलाव नहीं चाहते थे। यह कांग्रेस की नहीं अशोक गहलोत की हार है। दरअसल, राजस्थान में पूरा चुनाव अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस ने लड़ा था।
मैं नतीजों से आहत जरूर हूँ, लेकिन अचंभित नहीं हूं। कांग्रेस पार्टी राजस्थान में निसंदेह रिवाज बदल सकती थी, लेकिन अशोक गहलोत कभी कोई बदलाव नहीं चाहते थे। यह कांग्रेस की नहीं बल्कि अशोक गहलोत की शिकस्त है।
गहलोत के चेहरे पर, उनको फ्री हैंड देकर, उनके नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव लड़ा। उनके मुताबिक प्रत्येक सीट पर वे खुद चुनाव लड़ रहे थे। चुनाव में न अशोक गहलोत का अनुभव चला, न जादू और हर बार की तरह कांग्रेस को उनकी योजनाओं के सहारे जीत नहीं मिली और न ही अथाह पिंक प्रचार काम आया। तीसरी बार लगातार सीएम रहते हुए गहलोत ने पार्टी को फिर हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया। आज तक पार्टी से सिर्फ लिया ही लिया है, लेकिन कभी अपने रहते पार्टी की सत्ता में वापसी नहीं करवा पाए गहलोत।
आलाकमान के साथ फरेब, ऊपर सही फीडबैक न पहुंचने देना, किसी को विकल्प तक न बनने देना, अपरिपक्व और अपने फायदे के लिए जुड़े लोगों से घिरे रहकर आत्ममुग्धता में लगातार गलत निर्णय और आपाधापी में फैसले लिए जाते रहना, तमाम फीडबैक और सर्वे को दरकिनार कर अपनी मनमर्जी और अपने पसंदीदा प्रत्याशियों को उनकी स्पष्ट हार को देखते हुए भी टिकट दिलवाने की जिद। इन सबसे आज के ये नतीजे तय थे। मैं स्वयं मुख्यमंत्री को यह पहले बता चुका था, कई बार आगाह कर चुका था, लेकिन उन्हें कोई ऐसी सलाह या व्यक्ति अपने साथ नहीं चाहिए था जो सच बताए।
मैं छः महीने लगातार घूम-घूम कर राजस्थान के कस्बों-गांव-ढाणी में गया, लोगों से मिला, हजारों युवाओं के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित किये। मैंने लगभग 127 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए ग्राउंड रिपोर्ट सीएम को लाकर दी। उनके सामने जमीनी हकीकत को बिना लाग-लपेट सामने रखा, जिससे समय पर सुधारात्मक कदम उठाते हुए फैसले किये जा सकें। पार्टी की वापसी इससे सुनिश्चित होती।
मैंने खुद ने भी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी। पहले बीकानेर से फिर सीएम के कहने पर भीलवाड़ा से, जिस सीट को हम 20 साल से हार रहे थे, लेकिन ये नया प्रयोग नहीं कर पाए। बीडी कल्ला के लिए मैंने 6 महीने पहले बता दिया था कि वे 20 हजार से ज्यादा मत से चुनाव हारेंगे और वही हुआ। अशोक गहलोत के पार्ट पर इस तरह फैसले लिए गए कि विकल्प तैयार ही नहीं हो पाए।