नई दिल्ली। Privatisations of Railways: भारतीय रेलवे के बड़े पैमाने पर निजीकरण की तैयारी जारी है। 500 ट्रेनों और करीब 750 स्टेशनों निजी ऑपरेटर्स के हवाले करने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया। यदि सबकुछ प्रोजेक्ट के मुताबिक रहा तो अगले कुछ सालों में यात्रियों को वर्ल्ड क्लास लग्जरी ट्रेनों में सफर करने का मौका मिलेगा। दरअसल प्रायवेट ट्रेनों को लेकर कवायद शुरू हो गई है और अब ट्रेन के यात्रा समय में कमी लाने पर विचार जारी है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल की प्रायवेट ऑपरेटर्स के साथ 2 मीटिंग हो चुकी है और गेम चेंजर बताए जा रहे इस प्रोजेक्ट पर काफी तेजी से काम हो रहा है। बता दें कि पहले ही 3 निजी तेजस ट्रेनें पटरी पर आ चुकी हैं। रेलवे बोर्ड के चैयरमेन वीके यादव ने बताया- नीति आयोग द्वारा प्रायवेट ट्रेनों को लेकर प्रस्ताव सार्वजनिक किए जाने के बाद प्रायवेट सेक्टर के साथ हमारी 2 बैठकें हो चुकी हैं। इसमें काफी रूचि ली जा रही है। हमें उम्मीद है कि मार्च के अंत तक काफी अच्छी खबर आएगी।
महत्वकांक्षी योजना
गौरतलब है कि रेल मंत्रालय ने भारतीय रेल में निजी निवेश के लिए महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है जिसके तहत 500 यात्री ट्रेनों को प्रायवेट सेक्टर में दिया जा सकता है। साथ ही 750 रेलवे स्टेशन पर रख रखाव का काम भी वर्ष 2025 तक निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है। केवल इतना ही नहीं सरकार रेल के कोच और इंजन भी प्रायवेट कंपनियों से खरीदने की योजना बना रही है। कुल मिलाकर ये काफी बड़ा प्रोजेक्ट है, जिस पर तेजी से काम चल रहा है।
इन कम्पनियों ने दिखाई रुचि
बता दें कि सीमेंस, टाटा, हिताची, टैल्गो, अडानी, एल्सटॉम, भारत फोर्ज जैसे बड़े प्रायवेट प्लेयर्स प्रायवेट ट्रेन चलाने के इच्छुक हैं। ये करीब साढ़े 22 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट है। इसके लिए रेलवे ने 100 रूट की पहचान भी कर ली है, जिन पर करीब 150 प्रायवेट ट्रेनें चलाई जा सकती हैं। यहां मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि निजी सेक्टर को भारतीय रेल के मापदंडों के तहत ट्रेनें उतारनी होगी।
यात्रा का समय बचेगा
भारतीय रेलवे के मुताबिक फिलहाल ट्रेनों की स्पीड 130 किमी प्रति घंटा है, ऐसे में प्रायवेट ट्रेनें यात्रा के समय में कम से कम 10 से 15 फीसदी की बचत कर सकती हैं। जो यात्रियों के लिए काफी लाभदायक होगा। इस बीच भारतीय रेल ने दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा रूट पर 160 की स्पीड से ट्रेनें चलाने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है। ये प्रोजेक्ट अगले 4 साल में पूरा हो जाएगा।
मांग के आधार पर ट्रेन
दरअसल भारतीय रेल जरुरत और मांग के हिसाब से ट्रेन चलाने के फॉर्मूले पर काम कर रहा है। जहां जरुरत ज्यादा है, वहां के लिए निजी सेक्टर को भी प्रस्ताव दिए जाएंगे। यदि वे रूचि लेते हैं तो बाजार आधारित किराए के साथ वे अपनी प्रीमियम सर्विस वाली ट्रेन शुरू कर सकते हैं। सुविधाओं के तहत इन निजी ट्रेनों में एयरलाइंस सुविधाओं की तरह स्थानीय खाना, शॉपिंग की व्यवस्था होगी।
पिछले वर्ष हुई निजीकरण की शुरुआत
रेलवे में निजीकरण की शुरुआत पिछले साल हो चुकी है। देश की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस के संचालन का जिम्मा प्रायवेट कंपनी के हाथों में दिया गया है। यह ट्रेन दिल्ली से लखनऊ के बीच चलाई जा रही है। अब तीसरी तेजस ट्रेन पटरी पर दौड़ रही है।