गुलामी की मानसिकता ने विकास से वंचित रखा
राज्य ब्यूरो, मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा में ब्रज उत्सव की धूम है। ब्रजवासी कान्हा की भक्ति में इन दिनों लीन हैं। 23 नवंबर को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कान्हा नगरी में पहुंचकर ब्रज उत्सव का आनंद लेंगे। वह मथुरा पहुंच गए हैं। वह अब सीधे श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन करने पहुंचे हैं। पीएम मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं, जो श्रीकृष्ण जन्मभूमि जाएंगे। पीएम मोदी 1991 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि जा चुके हैं, लेकिन वह उस समय भाजपा के संगठन मंत्री थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 घंटे और पांच मिनट तक मथुरा में ही रुके। पीएम मोदी श्रीकृष्ण जन्मभूमि में दर्शन कर सीधे रेलवे मैदान पहुंचे। उन्होंने वहां मीराबाई के जन्मोत्सव कार्यक्रम में शामिल होकर एक डाक टिकट को जारी किया। इस कार्यक्रम में मथुरा की सांसद हेमा मालिनी नृत्य नाटिका प्रस्तुत किया।
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi offers prayers at Shri Krishna Janmabhoomi temple, in Mathura, Uttar Pradesh pic.twitter.com/Oc0k1i5Cma
— ANI (@ANI) November 23, 2023
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मथुरा में संत मीरा बाई के सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट और एक स्मारक सिक्का जारी किया है।
#WATCH प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मथुरा में संत मीरा बाई के सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट और एक स्मारक सिक्का जारी किया। pic.twitter.com/Hd2pP6eUjX
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 23, 2023
पीएम मोदी ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे आज ब्रज के दर्शन का अवसर मिला है, ब्रजवासियों के दर्शन का अवसर मिला है। क्योंकि यहां वही आता है जिसे श्रीकृष्ण और श्रीजी बुलाते हैं। ये कोई साधारण धरती नहीं है। ये ब्रज तो हमारे ‘श्यामा-श्याम जू’ का अपना धाम है। ब्रज ‘लाल जी’ और ‘लाडली जी’ के प्रेम का साक्षात् अवतार है। ये ब्रज ही है, जिसकी रज भी पूरे संसार में पूजनीय है।
पीएम मोदी ने कहा कि मेरे लिए इस समारोह में आना एक और वजह से विशेष है। भगवान कृष्ण से लेकर मीराबाई तक, ब्रज का गुजरात से एक अलग ही रिश्ता रहा है। मथुरा के कान्हा, गुजरात जाकर ही द्वारकाधीश बने थे। राजस्थान से आकर मथुरा-वृन्दावन में प्रेम की धारा बहाने वाली संत मीराबाई जी ने भी अपना अंतिम जीवन द्वारिका में ही बिताया था। मीरा की भक्ति बिना वृंदावन पूरी नहीं होती है।
मीराबाई का 525वां जन्मोत्सव केवल एक संत का जन्मोत्सव नहीं है। ये भारत की एक सम्पूर्ण संस्कृति का उत्सव है, ये प्रेम-परंपरा का उत्सव है, ये उत्सव नर और नारायण में, जीव और शिव में, भक्त और भगवान में, अभेद मानने वाले विचार का भी उत्सव है।
हमारा भारत हमेशा से नारीशक्ति का पूजन करने वाला देश रहा है। ये बात ब्रजवासियों से बेहतर और कौन समझ सकता है। यहां कन्हैया के नगर में भी ‘लाडली सरकार’ की ही पहले चलती है। यहां सम्बोधन, संवाद, सम्मान, सब कुछ राधे-राधे कहकर ही होता है। कृष्ण के पहले भी जब राधा लगता है, तब उनका नाम पूरा होता है। इसलिए हमारे देश में महिलाओं ने हमेशा जिम्मेदारियां भी उठाई हैं, और समाज का लगातार मार्गदर्शन भी किया है।
संत मीराबाई जी ने उस कालखंड में समाज को वो राह भी दिखाई, जिसकी उस समय सबसे ज्यादा जरूरत थी। भारत के ऐसे मुश्किल समय में मीराबाई जैसी संत ने दिखाया कि नारी का आत्मबल, पूरे संसार को दिशा देने का सामर्थ्य रखता है।
ब्रज क्षेत्र में, देश में हो रहे ये बदलाव, ये विकास केवल व्यवस्था का बदलाव नहीं है। ये हमारे राष्ट्र के बदलते स्वरूप का, उसकी पुनर्जागृत होती चेतना का प्रतीक है। महाभारत प्रमाण है कि जहां भारत का पुनरुत्थान होता है, वहां उसके पीछे श्रीकृष्ण का आशीर्वाद जरूर होता है। उसी आशीर्वाद की ताकत से हम अपने संकल्पों को पूरा करेंगे और विकसित भारत का निर्माण करेंगे।