जयपुर। जम्मू कश्मीर के हंदवाडा के आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए कर्नल आशुतोष शर्मा को मंगलवार को परिवार और लोगों ने पूरे सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी। भारत माता की जय के नारों और सेना के हवाई फायर की सलामी के बीच शहीद के भाई पीयूष शर्मा और पत्नी पल्लवी शर्मा ने कर्नल आशुतोष की पार्थिव देह को मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के समय उनकी बेटी तमन्ना भी मौजूद रही।
मंगलवार सुबह जयपुर में सैन्य क्षेत्र स्थित 61 कैवलरी आर्मी पोलो ग्राउंड में उनकी पार्थिव देह लाई गई ।यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, सैनिक कल्याण मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड, और सेना तथा प्रशासन के वरिष्ठ अधिकरियों ने पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद कर्नल को श्रद्धांजली दी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यहां पहुंच कर परिजनों से बात की और कर्नल की माताजी के चरण छू कर आशीर्वाद लिया और ढांढस बंधाया।
तिरंगा सम्भलवाया तो भावुक हो गई पत्नी, लेकिन चेहरे पर था गर्व
बाद में कर्नल आशुतोष की पार्थिक देह को मोक्षधाम ले जाया गया। यहां अंतिम संस्कार से पहले जब सेना के अधिकारियों ने कर्नल शर्मा की देह से पार्थिव देह से तिरंगा हटा कर उनक पत्नी पल्लवी शर्मा को सम्भलवाया तो वे काफी भावुक हो गई और बाद में पूरे समय उन्होंने तिरंगे को सीने लगाए रखा। मोक्षधाम में उनकी बेटी तमन्ना और अन्य परिजन तथा सेना के जवान भी मौजूद थे। भारत माता की जय और कर्नल आशुतोष अमर रहे के नारों के साथ सेना के जवानों ने हवाई फायर कर उन्हें अंतिम सलामी दी और कर्नल के भाई पीयूष शर्मा ने मुखाग्नि दी। इस दौरान पत्नी पल्लवी शर्मा भी उनके साथ रहीं। पल्लवी का कहना था कि उनके पति टाइगर की तरह रहे और टाइगर की तरह ही विदा हुए। उन्होंने देश के प्रति जिम्मेदारी निभाई। ऐसे में उनके जाने पर दुख व्यक्त करने का हमें कोई अधिकार नहीं है।
शहीद कर्नल अशुतोष की पत्नी की आंखों में आंसू और चेहरे पर गम की बचाय एक मुस्कान थी। उन्होंने अपनी पति की शहादत का गम ना मनाते हुए गर्व के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी। उनकी पत्नी पल्लवी का कहना था कि सेना की यूनिफॉर्म उनके पति के लिए जुनून थी और ऐसे में हम उनके सर्वोच्च बलिदान पर आंसू बहाएं यह अच्छा नहीं है।
मूलत बुलंदशहर के रहने वाले आशुतोष शर्मा की मां, बड़े भाई पीयूष शर्मा, पत्नी पल्लवी शर्मा और 12 साल की बेटी तमन्ना जयपुर में ही रहते है।
हंदवाडा के इस एनकाउंटर में आशुतोष शर्मा के शहीद होने की खबर रविवार सुबह उनके परिवार को मिली। खबर सुनने के बाद परिवार को एकाएक धक्का तो लगा लेकिन इस परिवार को कर्नल आशुतोष की शहादत पर गर्व है। उनकी पत्नी पल्लवी शर्मा का कहना है कि सेना की युनिफार्म उनके लिए जुनून थी और उन्होंने जो किया है, वह उनका निर्णय था। ऐसे में हमें कोई हक नहीं बनता कि हम उनके सर्वोच्च बलिदान पर आंसू बहाएं। हमें उनकी शहादत पर गर्व है।
उन्होने बताया कि एक मई को आखिरी बार उनसे बात हुई थी। उस दिन उनकी रेजिमेंट का स्थापना दिवस था। दोपहर में लंच के समय बात हुई। इसके बाद शाम पांच बजे उनका मैसेज था कि वे बाहर है। पल्लवी शर्मा ने कहा कि हमारी शादी को 16 साल हो गए है, इसलिए कुछ अंदाजा हो ही जाता है। कल रात से ही लग रहा था कि कुछ ठीक नहीं हो रहा है, लेकिन हम सिर्फ खुद को समझा रहे हैं। उनकी मां करीब 80 साल की है। उनका कहना है कि मेरी तो जिंदगी ही आधी रह गई। दो दिन पहले जब फोन पर बात हुई थी तो कहा था कि अब कि बार आउंगा तो हंदवाडा घुमाने के लिए लेकर जाउंगा।
उनके भाई पीयूष शर्मा का कहना है कि दुख की घड़ी तो है, लेकिन हमें उसके बलिदान पर गर्व है।उसने देश के लिए शहादत की है। सबका नाम ऊंचा किया है। उन्होंने बताया कि कोरोना के इस समय में बुलदंशहर जाना सम्भव नहीं है और पिछले 15 साल से जयपुर में ही रह रहे है, इसलिए यही अंत्येष्टी करेंगे।
28 अप्रेल को मां के लिए लिख थी एक कविता
पल्लवी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि इसी 28 अप्रेल को उन्होंने मां के लिए एक कविता भी लिखी थी। कविता कुछ यूं थी-
वो अक्सर घर को सम्भालती, संवारती रहती है
मेरी मां मेरे घर आने की राह निहारती रहती है
लौट कर आउंगा मैं भी पंछी की तरह मै भी एक दिन
वो बस इसी उम्मीद में दिन गुजारती रहती है
उससे मिले हुए हो गया पूरा एक साल लेकिन
उसकी बातें में मेरे सरहद पर होने का गुरूर दिखत है।