Palm Oil: कोरोनाकाल की वजह से जहां एक ओर लोगों के रोजगार छिन गए हैं, तो वहीं दूसरी ओर बढ़ती मंहगाई आर्थिक कमर तोड़ रही है। इन सब समस्याओं के चलते एक अच्छी खबर यह है कि खाने के तेल की कीमतों में जल्द ही कोई कमी होने के आसार नजर आ रहे हैं। देश में खाने की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा खाने के तेल में कमी करने की उम्मीद जताई जा रही है। दरअसल देश में खाने के तेल की जरूरत को पूरा करने के लिए पाम ऑयल का आयात होता है। इसलिए केंद्र सरकार ने पाम ऑयल पर इंपोर्ट ड्यूटी घटा दी है। शुल्क घटने से तेल का आयात बढ़ने लगेगा और कीमत में गिरावट आने की पूरी उम्मीद है।
आधे से ज्यादा हिस्सा होता है पाम तेल का
भारत पाम आयल इंडोनेशिया और मलेशिया से बुलवाता है। देश में खाने के तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए पाम ऑयल का आयात किया जाता है। बाहर से आने वाले खाने के तेल में लगभग 60 प्रतिशत पाम ऑयल की मात्रा होती है। मई माह की अगर बात करें तो भारत का पाम तेल का आयात 4 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। मई के दौरान पाम तेल का आयात 7.69 लाख टन पर पहुंच गया है। इंडस्ट्री ने अनुमान लगाया था कि लाॅकडाउन जैसे ही खत्म होगा तो देश के तमाम रेस्टोरेंट और होटल के खुलने से खपत बढ़ेगी। इसी को देखते हुए सरकार ने सप्लाई को बेहतर करने के लिए यह कदम उठाया है।
इंपोर्ट में कितनी की गई कटौती
सीमा शुल्क बोर्ड और केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर ने एक अधिसूचना में भारत के बाहर से बुलाए जाने वाले कच्चे पाम तेल पर मूल सीमा शुल्क को घटाकर 10 प्रतिशत और कच्चे पाम तेल के अलावा अन्य पाम तेल पर 37.5 प्रतिशत कर दिया है। वर्तमान में कच्चे पाम तेल पर 15 प्रतिशत सीमा शुल्क है, जबकि पामोलिन की अन्य श्रेणियां जैसे- आरबीडी पाम ऑयल, आरबीडी पामोलिन, आरबीडी पाम स्टीयरिन और कू्रड पाम ऑयल के अलावा अन्य पाम ऑयल के लिए 45 प्रतिशत है। कटौती के इस नियम को लेकर सीबीआईसी ने कहा कि ‘‘यह अधिसूचना 30 जून 2021 से प्रभावी होगी और 30 सितम्बर 2021 तक लागू रहेगी।’’