One Nation One Election। देश में लोकसभा चुनाव की सरगर्मियों में बीच मोदी सरकार ने मास्टर स्ट्रोक चलते हुए 5 दिन के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इस दौरान केंद्र सरकार One Nation One Election के विचार पर आगे बढ़ सकती है, हालांकि सरकार के लिए इसे लागू करना बेहद कठिन हो सकता है।
मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था के मुताबिक, देश में हर साल ही चुनाव आयोग को किसी न किसी राज्य में विधानसभा चुनाव कराने पड़ते हैं और इसके अलावा हर पांच साल में आम चुनाव भी होते हैं, जिसमें देश का करोड़ों रुपए खर्च हो जाता है। ऐसे में मोदी सरकार One Nation One Election व्यवस्था के तहत देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर जोर दे रही है, ताकि चुनाव में होने वाली फिजूलखर्ची बचाई जा सकती हैं और समय की भी बचत हो।
One Nation One Election को लागू करना मोदी सरकार के लिए आसान नहीं हैं, क्योंकि इसके लिए सरकार को कई अहम संविधान संशोधन कराने होगी। केंद्र सरकार को अनुच्छेद-83, अनुच्छेद-85, अनुच्छेद-172, अनुच्छेद-174 और अनुच्छेद 356 में संशोधन करना होगा। इस संशोधनों के बाद ही राज्यों की विधानसभाओं को भंग करके चुनाव कराया जा सकता है और एक निर्धारित अवधि के बाद राज्यों में चुनाव कराया जा सकता है। गौरतलब है कि अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा से दो तिहाई बहुमत के साथ पारित कराना होता है और इसके बाद 50 प्रतिशत राज्यों की विधानसभा से भी पास कराना अनिवार्य होता है।
देश में फिलहाल उत्तर प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सहित कुल 11 राज्यों में भाजपा की सरकार है, वहीं 4 राज्यों में भाजपा के साथ गठबंधन सरकार चल रही है, जिनमें महाराष्ट्र, नागालैंड, पुडुचेरी और सिक्किम शामिल हैं। इस दौरान 3 राज्यों की सरकारों पर संकट खड़ा होता है, जहां भाजपा ने समर्थन दिया है।