इलाहाबाद। शहर के महंगे से महंगे रेस्टोरेंट में अगर आप दोस्तों के साथ लंच करने जाएं तो शाकाहारी भोजन पर औसतन पांच सौ से लेकर आठ सौ रुपये प्रति व्यक्ति का खर्च आएगा। मगर माघ मेले में अफसरों ने सामान्य कारीगर से भोजन की जो थाली मंगाकर लंच किया, उसकी कीमत 1200 रुपए प्रति प्लेट थी।
यह शाहखर्ची यहीं नहीं थमी, गंगा पूजन में प्रशासन ने तीन लाख से अधिक खर्च किया तो अखाड़ा परिषद की एक बैठक के नाश्ते का खर्च भी 87 हजार रुपए के आंकड़े पर पहुंच गया। मेला प्रशासन की यह शाहखर्ची दिनभर सोशल मीडिया पर वायरल होती रही।
जी हां, माघ मेले में आने वाले कल्पवासियों और श्रद्धालुओं के लिए जो प्रशासन सुविधा देने के नाम पर बजट न होने का रोना रो रहा था, अपने ऊपर खर्च करने के मामले में उसने बजट को दिल खोल कर खर्च किया। मेला प्रशासन ने 26 दिसंबर, 2016 को हुए गंगा पूजन में तीन लाख रुपये का खर्च दिखाया है।
उसी दिन अखाड़ा परिषद की बैठक में नाश्ते पर 87 हजार रुपए का खर्च दिखाया है। इसके बाद सात जनवरी, 2017 को जब मुख्य सचिव आए तो उसमें 150 लोगों के भोजन का बिल 1.80 लाख दर्शाया गया। इस लंच की कीमत प्रति प्लेट 1200 रुपए दिखाई गई।
हो सकता है कि सुनने वालों को इस बिल में खामी नजर आए, लेकिन तत्कालीन प्रभारी अधिकारी मेला आशीष मिश्र कहते हैं कि जो खर्च हुआ है उसी का बिल आया है और वही बिल पास किया गया है।
मजे की बात यह है कि मेला प्रशासन ने 1200 रुपए प्रति प्लेट का जो लंच मंगाया, वह भी शहर के किसी नामचीन होटल या रेस्टोरेंट का नहीं है। बल्कि दारागंज में भोला वैश्य नाम के एक शख्स के नाम से बनाया गया है। यही नहीं, एक प्लेट में जितनी डिश दर्शाई गई हैं, एक शख्स के लिए उन्हें एक समय में चख पाना भी आसान नजर नहीं आता।
चार-चार तरह की रोटी और सब्जी
दाल मखनी, मटर पनीर, मिक्स सब्जी, सोया आलू, पापड़, दही बड़ा, सलाद, रोटी बेसन, तंदूरी, कचौड़ी, तवा रोटी, चावल, मक्के की रोटी, सरसों का साग, दही, चटनी, रसमलाई, इमरती, रबड़ी और बिसलरी पानी की बोतल।
1.60 लाख रुपए के अंगवस्त्र
संतों को अंगवस्त्र भेंट करने में भी प्रशासन ने अच्छी खासी रकम खर्च की है। 101 लोगों को भेंट किए गए अंगवस्त्र की कीमत भी 1.60 लाख रुपए थी। पूजा में कई सामग्री की कीमत आश्चर्यजनक रूप से काफी अधिक है। जैसे पान के एक पत्ते की कीमत छह रुपए दर्शाई गई है।