न्यू ईयर 2021 के जश्न के बीच रामधारीसिंह दिनकर के नाम पर वायरल हुई यह कविता
न्यू ईयर 2021: यह पुष्टि नहीं है कि यह कविता रामधारी सिंह दिनकर की ही है।
By Arvind Dubey
Edited By: Arvind Dubey
Publish Date: Fri, 01 Jan 2021 08:39:31 AM (IST)
Updated Date: Thu, 07 Jan 2021 02:46:20 PM (IST)
न्यू ईयर 2021: नए साल की शुरुआत में सोशल मीडिया (इंटरनेट मीडिया) पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के नाम पर एक कविता वारयल हुई। यह पुष्टि नहीं है कि यह कविता रामधारी सिंह दिनकर की ही है। इस कविता में कवि ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि 31 दिसंबर या 1 जनवरी हमारा नया साल नहीं है। यह उन अंग्रेजों की दी हुई परंपरा है, जिन्होंने 100 साल हम पर राज किया, हमारे देशभक्तों को मौत के घाट उतारा। कवि हिंदू पंचांग के हिसाब से नव वर्ष बनाने की बात कही है। पढ़िए पूरी कविता
ये नव-वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं
धरा ठिठुरती है सर्दी से
आकाश में कोहरा गहरा है
बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
सर्द हवा का पहरा है
सूना है प्रकृति का आँगन
कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं
हर कोई है घर में दुबका हुआ
नव-वर्ष का ये कोई ढंग नहीं
चंद मास अभी इंतज़ार करो
निज मन में तनिक विचार करो
नये साल नया कुछ हो तो सही
क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही
उल्लास मंद है जन -मन का
आयी है अभी बहार नहीं
ये नव-वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो
प्रकृति दुल्हन का रूप धार
जब स्नेह–सुधा बरसायेगी
शस्य–श्यामला धरती माता
घर -घर खुशहाली लायेगी
तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि
नव-वर्ष मनाया जायेगा
"आर्यावर्त" की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जायेगा
युक्ति–प्रमाण से स्वयंसिद्ध
नव-वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध
आर्यों की कीर्ति सदा -सदा
नव-वर्ष चैत्र-शुक्ल- प्रतिपदा
अनमोल विरासत के धनिकों
को चाहिये कोई उधार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
ये नव-वर्ष हमें स्वीकार नहीं!