नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस के पहले देश के राष्ट्रपति ने देश के 22 बच्चों को बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किया। इन बच्चों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर दूसरों की जान बचाते हुए छोटी सी उम्र में ऐसा काम किया है जो दूसरों के लिए प्रेरणा बने हैं। इनमें से कुछ तो ऐसे थे जिनकी बहादुरी का किस्सा सुनकर आप भी सोचेंगे कि कैसे इस छोटी सी उम्र में बच्चों में इतना हौंसला आ जाता है। सम्मान पाने वालों में 12 लड़के और 10 लड़कियां शामिल हैं। बहादुरी सम्मान पाने वाले इन्हीं बच्चों में से कुछ की कहानियां हम आपके लिए लेकर आए हैं।
इन बहादुर बच्चों में सबसे पहले बात करते हैं आदित्य के की जो केरल के रहने वाले हैं। उन्हें राष्ट्रपति ने भारत अवॉर्ड से सम्मानित किया है और वो इसलिए क्योंकि उन्होंने नेपाल में एक जलती बस से 40 लोगों को जिंदा बताया था। यह घटना मई 2019 की है जो नेपाल के दुनीन में तब हुई जब आदित्य की बस भारतीय सीमा से महज 50 किलीमीटर दूर थी।
बस में आग लगने बाद इसका ड्राइवर फरार हो गया तब आदित्य ने हथौड़ी की मदद से बस के कांच फोड़े और सभी को बाहर निकाला। आदित्य की सतर्कता से सभी लोग बस का डीजल टैंक फटने से पहले ही बाहर आ चुके थे। सम्मान पाने वाले आदित्य भारतीय वायुसेना में जाना चाहते हैं और कहते हैं कि वो स्कॉलरशिप की मदद से कड़ी मेहनत कर पढ़ाई करेंगे।
वहीं केरल के एक और छात्र को बहादुरी पुरस्कार मिल है लेकिन वो इस पुरस्कार को पाने के लिए दुनिया में नहीं रहा। इस बच्चे मोहम्मद मोहसीन ने अपनी जान देकर पानी में डूब रहे अपने तीन दोस्तों की जिंदगी बचाई थी।
इसके अलावा दो बहादुर बच्चे जम्मू-कश्मीर के हैं जिनका नाम सरताज मोहिदिन मुगल और मुदस्सिर अशरफ है। मुगल ने अपने परिवार की जान तब बचाई थी जब पाकिस्तान की तरफ से भारी गोलीबारी हो रही है। वहीं मुदस्सिर को फरवरी 2019 में Mi-17 चॉपर क्रैश में राहत कार्य कर जवान को बचाने के लिए बहादुरी पुरस्कार मिला।
मिजरोरम की रहने वाली Carolyn Malsawmtluangi को भी राष्ट्रपति ने सम्मानित किया है। इस बच्ची ने सतर्कता बरतते हुए एक बच्चे के अपहरण को टाल दिया था।
कमल कृष्ण दास ने सितंबर 2018 में अपनी मां की जान बचाई थी और इसके लिए वो असम की बाढ़ के पानी से भरी ब्रह्मपुत्र नदी में छलांग लगाने से भी नहीं डरे। इस तरह उन्होंने अपनी मां के अलावा आंटी और एक अजनबी की जान भी बचाई थी।
10 साल की राखी को ICCW Markandeya award दिया गया है जो उत्तराखंड की रहने वाली है। उसने अपने 4 साल के भाई को तेंदुए के पंजे से बचाया था। इसमें वो खुद भी गंभीर रूप से घायल हो गई थी।
Srimati Badra को ICCW Prahalada Award दिया गया है क्योंकि उसने अपने उस दोस्त की जिंदगी बचाई जिसकी नवंबर 2018 में रेलवे ट्रेक पर टांग कट गई थी।