Motu Patlu Turn 10: मोटू-पतलू कार्टून कैरेक्टर हर घर में अपनी पहचान बना चुके हैं। कभी कॉमिक्स के पन्नों में दिखने वाले मोटू-पतलू (Motu Patlu) अब टेलीविजन पर नजर आते हैं। बच्चों के साथ बड़ों को भी हंसाते हैं। मोटू-पतलू टीवी सीरीज के टेलीविजन पर 10 साल पूरे हो गए हैं। 16 अक्टूबर 2012 को पहली बार टीवी पर निकलोडियन चैनल (Nickelodean Channel) पर टेलीकास्ट हुआ था। मोटू-पतलू निकलोडियन के टॉप 5 शो में शामिल है। इसके भारत में 7 भाषाओं में 28.90 करोड़ व्यूअर हैं। मोटू-पतलू के चाहने वाले टीवी की वजह से नहीं है, बल्कि फैन फॉलोइंग उस समय से हैं जब दोनों कैरेक्टर कॉमिक्स में दिखा करते थे। आइए जानते हैं कैसे दोनों दोस्त अस्तित्व में आए थे।
मायापुरी समूह ने दिया जन्म
एसएल बजाज ने लाहौर में 1882 में एक कैलेंडर प्रिंटिंग प्रेस लगाई थी। इस प्रेस का नाम अरोरबन्स कैलेंडर प्रिंटिंग प्रेस था। कुछ सालों बाद मैगजीन निकालना शुरू कर दिया। सालों तक प्रेस लाहौर में चली। 1947 में आजादी के बाद बजाज परिवार पाकिस्तान छोड़ भारत आ गया। फिर से प्रिंटिंग प्रेस के माध्यम से खुद को स्थापित किया।
ऐसे हुई थी शुरुआत
एसएल बजाज के बेटे आनंद प्रकाश बजाज ने 1969 में कॉमिक मैगजीन लोटपोट को शुरू किया। इसी मैगजीन से अस्तित्व में मोटू और पतलू आए। लोटपोट में मोटू-पतलू, घसीटाराम, डॉक्टर झटका और सभी कैरेक्टर्स के क्रिएटर कृपा शंकर भारद्वाज थे।
16 अक्टूबर 2012 को टीवी सीरीज
वर्ष 2011 में लोटपोट ई-मैगजीन शुरू की। 16 अक्टूबर 2012 में ग्रुप ने निकलोडियन पर मोटू-पतलू की टीवी सीरीज का टेलिकास्ट शुरू किया। इस कार्टून सीरीज में डॉ. झटका, घसीटाराम, इंस्पेक्टर चिंगम, बॉक्सर, चोर जॉन द डॉन और चायवाला को भी दिखाया गया है।