नई दिल्ली। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लेह के एक दंपती अपने नवजात की सलामती के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। दिल्ली के अस्पताल में भर्ती नवजात के लिए उसकी मां एक हजार किलोमीटर दूर लेह से रोज अपना दूध भेज रही है। वहां किसी न किसी विमान यात्री के जरिये दूध भेजा जाता है, जिसे यहां एयरपोर्ट पर एकत्र कर बच्चे तक पहुंचाया जाता है। यह सिलसिला 20 जून से जारी है।
शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती इस एक माह के नवजात के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है। डॉक्टर कहते हैं कि एक सप्ताह में बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। मैक्स अस्पताल के अनुसार, 16 जून को लेह में सिजेरियन ऑपरेशन से नवजात (लड़के) का जन्म हुआ था। उसकी सांस और भोजन की नली आपस में जुड़ी हुई थीं। लेह के डॉक्टरों ने सर्जरी के लिए मैक्स अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. हर्षवर्धन के पास केस स्थानांतरित किया।
18 जून को बच्चे के मामा उसे लेकर दिल्ली पहुंचे। ऑपरेशन के महज दो दिन होने के कारण मां दिल्ली नहीं आ सकीं। पिता जिकमेट वांगडू कर्नाटक के मैसूर में शिक्षक हैं। वह भी उसी दिन दिल्ली पहुंचे। 19 जून को मैक्स में नवजात की सफल सर्जरी हो गई।
लेह से दूध लाना बेहद चुनौतीपूर्ण था
जिकमेट वांगडू के अनुसार, डॉक्टरों ने कहा कि नवजात को मां का दूध देना बहुत जरूरी है। ऐसे में लेह से दूध लाना बेहद चुनौतीपूर्ण था। फिर भी इस कार्य को ठाना। इसमें दोस्तों का भी सहयोग मिला। उन्होंने बताया कि लद्दाख एयरपोर्ट पर उनके कुछ मित्र कार्यरत हैं, जो दूध को किसी न किसी यात्री की मदद से प्रतिदिन दिल्ली एयरपोर्ट पर भेजते हैं। बच्चे की मां शाम से सुबह तक का दूध तीन-चार बार में एकत्र करती हैं।
उस दूध को सुबह की फ्लाइट से दिल्ली डेढ़ घंटे में पहुंचा दिया जाता है। बच्चे के पिता या मामा में से कोई एक एयरपोर्ट जाकर दूध अस्पताल लाते हैं। कई अनजान यात्री भी विस्तारा एयरलाइंस की फ्लाइट से दिल्ली दूध लाने में मदद करते हैं।
मिल्क बैंक से दूध लेने की हुई थी बात
अस्पताल के डॉक्टर कहते हैं कि शिशु के लिए मां का दूध फायदेमंद होता है। इस बच्चे के लिए मिल्क बैंक से दूध लेने पर विचार किया गया था, लेकिन उसकी मां ने अपना दूध ही पिलाने की ठानी। इलाज करने वाले डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि जल्द ही यह बच्चा अपने मां के पास होगा।