Maharashtra Vidhan Parishad Chunav 2022: महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में भी भाजपा के पांचों उम्मीदवार जीत गए। कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रकांत हंडोरे की हार से सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी को 10 दिन के अंदर ही दूसरी बार करारा झटका लगा है। इससे पहले 10 जून को राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा अपने तीनों उम्मीदवार जिताने में कामयाब रही थी और शिवसेना के दूसरे उम्मीदवार को मुंह की खानी पड़ी थी।
10 सीटों के लिए हुए विधान परिषद चुनाव में भाजपा ने अपनी क्षमता से एक अधिक उम्मीदवार खड़े किए थे। सोमवार को हुए मतदान में भाजपा के पांचों उम्मीदवार प्रवीण दरेकर, राम शिंदे, उमा खापरे, श्रीकांत भारतीय और प्रसाद लाड विजयी रहे। यानी वोटों की सेंधमारी हुई है। शिवसेना भी अपने दोनों उम्मीदवारों सचिन अहीर एवं आमशा पाडवी को, तथा राकांपा अपने दोनों उम्मीदवारों एकनाथ खडसे और रामराजे निंबालकर को जिताने में सफल रही।
कांग्रेस की पहली प्राथमिकता के उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे अपनी ही पार्टी की दूसरी प्राथमिकता के उम्मीदवार अशोक भाई जगताप द्वारा उनके कोटे का वोट ले लिए जाने के कारण हार गए। इस लड़ाई में बाजी मार ले गए भाजपा की पांचवीं प्राथमिकता के उम्मीदवार प्रसाद लाड।
Maharashtra Vidhan Parishad Chunav 2022: देवेंद्र फडणवीस का कद बढ़ा
इस प्रकार महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फड़नवीस एक बार फिर अपना दबदबा एवं रणनीतिक कौशल दिखाने में कामयाब रहे। संख्या बल के हिसाब से कांग्रेस प्रत्याशी को जीत के लिए सिर्फ 12 अतिरिक्त मतों की आवश्यकता थी। भाजपा को 22 अतिरिक्त मत चाहिए था। देवेंद्र फड़नवीस राज्यसभा चुनाव की तरह एक बार फिर कुछ छोटे दलों एवं निर्दलीय विधायकों को जोड़कर अतिरिक्त वोट जुटाने में सफल रहे। भाजपा को इस चुनाव में कुल 134 मत मिले, जबकि उसके विधायकों की संख्या सिर्फ 106 है और छह निर्दलीय विधायकों का समर्थन उसे प्राप्त है। महाविकास अघाड़ी सत्ता में होने के बावजूद यह करिश्मा करने में विफल रही।
राज्यसभा चुनाव की भांति विधान परिषद चुनाव में भी मतदान के बाद मतगणना शुरू होने में देरी हुई। सत्तारूढ़ पक्ष की ओर से भाजपा के पक्ष में मत डालने आए दो बीमार विधायकों लक्ष्मण जगताप एवं मुक्ता तिलक के वोट डालने के तरीके पर आपत्ति उठाई गई। राज्य चुनाव आयोग ने यह आपत्ति खारिज की, तो सत्तारूढ़ पक्ष केंद्रीय चुनाव आयोग के पास गया। वहां से भी आपत्ति खारिज होने के बाद मतगणना शुरू हो सकी। मतगणना प्रक्रिया शुरू होने के बाद एक बार फिर बाधा उत्पन्न हुई, जब भाजपा की ओर से राकांपा के पक्ष में पड़े एक वोट पर आपत्ति जताई गई। इस पर विवाद के दौरान ही भाजपा के भी एक मत पर आपत्ति आ गई।
इन दोनों मतों को अवैध घोषित किए जाने के बाद जीत के लिए आवश्यक मतों का कोटा 25.73 निर्धारित हुआ। 285 विधायकों के मतदान के बाद यह कोटा 26 का था। शिवसेना के एक विधायक की मृत्यु एवं राकांपा के दो विधायकों नवाब मलिक एवं अनिल देशमुख के जेल में होने कारण 288 सदस्यों वाली विधानसभा में 285 विधायक ही वोट डाल सके थे।