मधुबनी। जो स्थान कभी गंदगी के लिए बदनाम था उसका अब देशभर में नाम हो रहा है। इतना ही नहीं अब उस स्थल का नाम जल्द ही विश्व रिकार्ड भी होगा। यह कहानी है बिहार के मधुबनी रेलवे स्टेशन की। मधुबनी के स्थानीय कलाकारों ने बिना पैसे लिए महज 10 दिनों में विश्व प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग के जरिये इसका कायाकल्प करने का काम किया।
पूर्व-मध्य रेलवे के समस्तीपुर मंडल के मधुबनी रेलवे स्टेशन को 2015-16 में देश के सबसे गंदे रेलवे स्टेशनों में शुमार किया गया तो यहां के लोगों को बड़ा धक्का लगा था। इस स्थिति को सुधारने के लिए रेलवे ने यहां अगस्त, 2017 में खासतौर पर इनवायरमेंट एंड हाउस कीपिग पद पर भवेश कुमार झा की तैनाती की।
उन्होंने इसकी सुंदरता निखारने में यहां की विश्वप्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग के उपयोग का विचार अधिकारियों के समक्ष रखा। हरी झंडी मिलने के साथ 28 सितंबर को स्थानीय कलाकारों से इस कार्य में सहयोग की अपील का विज्ञापन निकाला गया। इसका सकारात्मक असर हुआ। सैकड़ों कलाकार इस अभियान में साथ देने के लिए खड़े हो गए।
गांधी जयंती पर शुरुआत सफाई और पेंटिंग बनाने की शुरुआत दो अक्टूबर को गांधी जयंती पर भव्य समारोह में डीआरएम आरके जैन ने की। इस कार्य में 184 कलाकार लगे। 10 दिनों तक अथक मेहनत करते हुए पौराणिक से लेकर आधुनिक विषयों की 20 थीम्स पर अपनी कल्पना को रेलवे की दीवारों पर उतारना शुरू किया।
ये कलाकार पौ फटने के साथ ही स्टेशन पहुंच जाते। कलाकारों ने एक-एक थीम पर पेंटिंग बनाते हुए रंग भरा तो गंदगी से पटी रहने वाली दीवारें बोल उठीं।
बन गया दर्शनीय स्थल-
आज स्थिति यह है कि स्टेशन से कभी मुंह फेर कर जाने वाले यात्री पेंटिंग देख ठहर से जाते हैं। उसे निहारते हैं। बहुत से लोग तो सिर्फ पेंटिंग देखने के लिए स्टेशन पहुंचने लगे हैं। आज यह एक दर्शनीय स्थल बन गया है। 9200 वर्गफीट में की गई मधुबनी पेंटिग्स को लेकर समस्तीपुर रेल मंडल ने ग्लोबल रिकॉर्ड एंड रिसर्च फाउंडेशन के पास सबसे बड़े लोक चित्रकला परिसर के रूप में विश्व रिकॉर्ड की दावेदारी पेश की है।
कलाकारों का सम्मान पेंटिंग्स बनने के बाद 14 अक्टूबर को रेलवे ने भव्य पेंटिग क्लोजिग सेरेमनी का आयोजन किया। इस अवसर पर पेंटिंग बनाने वाली नीतू देवी, सबा परवीन, निशा झा, पुतुल कुमारी, कल्याणी राय और रमेश कुमार मंडल सहित अन्य कलाकारों को सम्मानित किया गया। इन्हें प्रमाणपत्र दिया गया।
डीआरएम, समस्तीपुर रेल मंडल आरके जैन का कहना है कि स्टेशन की सुंदरता बढ़ाने और पहचान स्थापित करने की हमारी सोच कामयाब हुई है। अब दरभंगा के प्रतीक्षालय को भी शीघ्र ही मधुबनी पेंटिग्स से आच्छादित करने का काम शुरू होगा। उसके बाद सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन पर भी हमारी ऐसी ही योजना है।