Lalji Tandon Profile: मध्यप्रदेश के राज्यपाल और भाजपा के दिग्गज नेता रहे लालजी टंडन का मंगलवार को निधन हो गया। 85 वर्ष के Lalji Tandon बीते कुछ दिनों से बीमार थे और लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। लालजी टंडन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भी बहुत करीबी रहे। लालजी टंडन कहते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी मेरे बड़े भाई और पिता हैं। दोनों ने करीब पचास साल साथ काम किया। लालजी टंडन कोई भी बड़ा काम अटलजी के आशीर्वाद से ही शुरू करते थे। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल विहारी वाजपेयी और लाल जी टंडन की सात दशक की दोस्ती पर तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद कभी राजनीतिक रंग नहीं चढ़ा और आखिरी सांस तक रिश्तों की गर्माहट पहले दिन की तरह ही बरकरार रही। लखनऊ और अटल का रिश्ता अटूट था तो टंडन के दिल में भी केवल लखनऊ बसता था। दोनो का लखनऊ से अल्लड़ प्यार ही उनके बीच सेतु का काम करता था।
अटल कहते थे कितना भी व्यस्त रहूं टंडन जी आपकी कचौड़ी खाए बिना नहीं जाऊंगा
लालजी टंडन, अटलबिहारी वाजपेयी को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। Lalji Tandon के पहले सियासी सफर पर भी अटलजी का उनको खूब साथ मिला। 1962 में लखनऊ नगर पालिका के चुनाव में टंडन सभासद चुने गए। उनका कहना था कि अटल भारतीय राजनीति के वह शिखर पुरुष हैं जिनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। यही वजह रही कि जब 2009 के चुनाव में अटल के अस्वस्थ होने पर लाल जी टंडन को उनकी विरासत संभालने को कहा गया तो वह भावुक हो गए थे। प्रधानमंत्री रहते हुए अटल का जब भी आना हुआ Lalji Tandon से मुलाकात जरूर हुई। अटल जी को चौक की ठंडाई हो चॉट और कचौड़ी बेहद पंसद थी। इसलिए लखनऊ आने से पहले वह टंडन को इसका इंतजाम करने को कहते थे, अटल कहते थे कितना भी व्यस्त रहूं टंडन जी आपकी कचौड़ी खाए बिना नहीं जाऊंगा।
लालजी टंडन ने कहा था, मोदी के लिए छोड़ दूंगा सीट
लालजी टंडन लखनऊ से सांसद रहे, लेकिन 2014 में स्थिति ऐसी बनी जब उन्हें अपनी सीट छोड़ना पड़ी। दरअसल, यह वही वक्त था जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया था। चर्चा थी कि पीएम मोदी उत्तर प्रदेश की किसी सीट से लड़ सकते हैं। तब लालजी टंडन ने कहा था कि वे नरेंद्र मोदी के लिए अपनी सीट छोड़ने को तैयार हैं। बाद में राजनाथ सिंह लखनऊ से चुनाव लड़ने थे और नरेंद्र मोदी वाराणसी से जीतकर प्रधानमंत्री बने थे।
लालजी टंडन को मायालती बांधती थीं राखी
बहुत कम लोगों को पता है कि उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती उन्हें राखी बांधती थीं। दरअसल, उत्तर प्रदेश के चर्चित गेस्ट हाउस कांड के समय लालजी टंडन ने मायावती की जान बचाई थी। यही कारण है कि बहनजी उन्हें अपना भाई मान बैठी थीं और राखी बांधती थीं। बता दें, 90 के दशक में जब उत्तर प्रदेश में भाजपा और बसपा की सांंझी सरकार बनी थी, तब इसमें लालजी टंडन का अहम योगदान था।