Konark Sun Temple । दुनियाभर में विख्यात और देश की प्रमुख ऐतिहासिक धरोहरों में से एक कोणार्क से सूर्य मंदिर के गर्भगृह में भरी हुई कई टेन बालू रेत को निकालने का काम जल्द ही शुरू होने वाला है। आपको बता दें कि करीब 119 साल पहले ब्रिटिश सरकार ने इस मंदिर के गर्भगृह में बालू रेत भर दी थी। ऐसा माना जा रहा है कि कोणार्क मंदिर के गर्भगृह से बालू रेत निकालने के बाद सूर्य मंदिर भी काफी बदल जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक मंदिर के गर्भगृह से बालू रेत निकालने में करीब 3 साल का समय लग जाएगा। रेत निकालने से पहले सूर्य मंदिर में पूजा अर्चना की गई है।
800 साल पुराने ऐतिहासिक कोर्णाक सूर्य मंदिर के गर्भगृह में फिलहाल दर्शक प्रवेश नहीं कर पाते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधीक्षक अरुण मल्लिक ने जानकारी दी है कि बीते 2 साल से विशेषज्ञों और इंजीनियरों की एक टीम गर्भगृह से रेत हटाने पर विचार विमर्श कर रही है। इसके लिए एक सुरक्षित प्रणाली तैयार की गई है ताकि लोग 13 वीं शताब्दी के मंदिर को सुरक्षित रखा जा सके और मंदिर में पर्यटक प्रवेश भी कर सके।
उड़ीसा हाईकोर्ट के आदेश और केंद्रीय मंत्री के संसद को दिए गए आश्वासन के बाद मंदिर के गर्भगृह से रेत हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस काम के लिए एक निजी कंपनी BDR कंस्ट्रक्शन को काम सौंपा गया है। इस दौरान पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे और उनकी देखरेख में पूरा काम होगा।
मंदिर के गर्भगृह के रेत निकालने से पहले यहां एक 4 से 5 फीट की सुरंग बनाई गई है। पहले चरण में निजी कंपनी BDR कंस्ट्रक्शन 4 फीट चौड़ी और 5 फीट ऊंची सुरंग बनाकर वर्किंग प्लेटफार्म तैयार करेगी। इस प्लेटफार्म पर लिफ्ट और ट्राली के जरिए गर्भगृह से रेत और पत्थर निकाले जाएंगे। ASI ने जानकारी दी है कि रेत निकालते हुए संरचना को अस्थाई सपोर्ट देने के लिए स्टील बीम गाढे जाएंगे।
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800 साल पुराना यह मंदिर 119 साल पहले ही धराशायी हो जाता लेकिन अंग्रेजों ने इस ऐतिहासिक मंदिर की सुरक्षा और संरक्षण के लिए गर्भगृह में रेत भरवा दी थी। साथ ही खराब मौसम से बचाने के लिए गर्भगृह में प्रवेश के लिए बनाए गए चारों प्रवेश द्वारों को भी सील कर दिया था।
ब्रिटिश सरकार ने तब रेत मंदिर को ढहने से बचाने के लिए तब ब्रिटिश सरकार ने रेत भरवा दी थी, ऐसा माना जा रहा था कि रेत गर्भगृह का भार अपने ऊपर ले लेगी, लेकिन रेत धीरे-धीरे नीचे दब रही है और इस कारण से मंदिर की संरचना में दरार आने लगी है। ऐसे में कई विशेषज्ञों ने सूर्य मंदिर के जगमोहनम (गर्भगृह) से रेत हटाने का सुझाव दिया। जानकारों का मानना है कि रेत को हटाने से मंदिर का जीवनकाल कई गुना बढ़ जाएगा। रुड़की स्थित सेंटर फार बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBR) की रिपोर्ट में रेत के खिसकने की बात कही गई थी। इसके बाद हाई कोर्ट ने पुरातत्व विभाग के कड़ी फटकार लगाई थी।
कोणार्क का सूर्य मंदिर गंगा वंश के राजा नरसिंह देव प्रथम ने 800 साल पहले सूर्य देव की पूजा अर्चना के लिए किया था। 13 वीं शताब्दी से यह मंदिर पुरी और भुवनेश्वर के साथ ओडिशा के स्वर्ण त्रिभुज का हिस्सा है। इस मंदिर को देखने के लिए दुनियाभर से पर्यटक पहुंचते हैं। मुख्य मंदिर का ढांचा पूरी तरह से खत्म हो चुका है, अब मंदिर का सिर्फ गर्भगृह ही बचा है।