500 मकान रहने लायक नहीं, जानें क्या कहती है रिपोर्ट
जोशीमठ को लेकर उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस की रिपोर्ट के अनुसार शहर के करीब जोशीमठ में 500 घर रहने के लायक नहीं हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय भी इस संकट पर लगातार नजर रख रहा है। संयुक्त मजिस्ट्रेट दीपक सैनी ने जानकारी दी है कि जोशीमठ शहर के भू-धंसाव पर PMO से भी जानकारी मांगी गई है और प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।
जोशीमठ में निर्माण कार्यों पर लगी रोक
संभावित खतरे के मद्देनजर जोशीमठ शहर में सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई है। जोशीमठ में थाना प्रभारी कैलाश चंद भट्ट का कहना है कि ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद पूरे शहर में निजी निर्माण कार्य को बंद कर दिया गया है।
पूरे शहर में नालियां चोक, सड़कें टूटी, मिट्टी का कटाव
जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण कई घर काफी नीचे तक धंस गए हैं और इस कारण से जल धाराओं का प्राकृतिक प्रवाह में रुकावट आने लगी है। शहर में कई स्थानों पर नालियां भी चोक हो गई है और सड़कों के बीच में बड़ी बड़ी दरारें आ गई है। जोशीमठ नगर पालिका ने रिपोर्ट तैयार कराई है, उसके मुताबिक गांधीनगर वार्ड में 133, मारवाड़ी में 28, नृसिंह मंदिर के पास 24, सिंहधार में 50, मनोहर बाग में 68, सुनील में 27, परसारी में 50, रविग्राम में 153 और अपर बाजार वार्ड में 26, मकानों में दरारें आई हैं।
इस कारण हो रहा जोशीमठ का धंसाव
जोशीमठ में भू-धंसाव का कारण जानने गई एक्सपर्ट टीम भी पहुंची है। शुरुआती जांच में पता चला है कि पानी के निकासी की व्यवस्था ना होना जोशीमठ में भू-धंसाव और दरारों का प्रमुख कारण है। इसके अलावा टेक्निकल टीम ने अलकनंदा नदी में हो रहा कटाव को भी इसका एक प्रमुख कारण माना है। आपदा प्रबंधन की टीम के अलावा IIT की एक टीम भी जल्द ही जोशीमठ का मुआयना करने जाएगी, इस टीम में IIT रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट, जीएसआई, सीबीआरआई के वैज्ञानिक शामिल होंगे।
जोशीमठ का 1500 साल पुराना है इतिहास
उत्तराखंड में जोशीमठ एक छोटा सा शहर है। इसका एक और नाम ज्योतिर्मठ भी है। धार्मिक और सांस्कृतिक अहमियत वाले शहर जोशीमठ को बद्रीनाथ का द्वार माना जाता है और इसका इतिहास करीब 1500 साल पुराना है। 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य को यहीं ज्ञान प्राप्त हुआ और चार मठों में से पहले मठ की स्थापना उन्होंने जोशीमठ में ही की थी।