ISRO's Mars Mission: मंगलयान ने ली मंगल ग्रह के सबसे बड़े चंद्रमा की तस्वीर, जानिए इसकी खासियत
ISRO's Mars Mission: इसरो ने 24 सितबंर 2014 को मार्स ऑर्बिटर मिशन के तहत मंगलयान को अंतरिक्ष में मंगल की कक्षा में स्थापित किया था।
By Kiran K Waikar
Edited By: Kiran K Waikar
Publish Date: Sat, 04 Jul 2020 07:15:53 AM (IST)
Updated Date: Sat, 04 Jul 2020 07:19:19 AM (IST)
ISRO's Mars Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मंगलयान यानी मार्स ऑर्बिटर मिशन ( MOM) ने मंगल ग्रह के नजदीकी और सबसे बड़े चंद्रमा Phobos की फोटो ली है। एमओएम पर लगे मार्स कलर कैमरा (Mars Colour Camera, MCC) ने यह तस्वीर कैद की है। एमसीसी ने यह तस्वीर एक जुलाई को उस वक्त कैद की थी, जब एमओएम मंगल ग्रह से 7,200 किलोमीटर और Phobos से 4,200 किलोमीटर दूर था।
इसरो ने कहा कि यह 6 एमसीसी फ्रेस से ली गई यह एक समग्र तस्वीर है और उसके कलर को सही किया गया है। इसरो के मुताबिक, फोबोस पर एक बहुत बड़ा गड्ढा नजर आ रहा है, जिसे स्टिकनी नाम दिया गया है। यह बहुत पहले फोबोस से आकाशीय पिंडों के टकराने से बना होगा। इसके अलावा भी कई छोटे-छोटे गढ्डे इस तस्वीर में नजर आ रहे हैं। इनका नाम स्लोवास्की, रोश और ग्रिलड्रिग रखा गया है।
इसरो ने 24 सितबंर, 2014 को मार्स ऑर्बिटर मिशन के तहत मंगलयान को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था। इस मिशन का उद्देश्य शुरू में छह महीने के लिए था लेकिन इसरो ने कहा कि कई वर्षों तक सेवा देने के लिए इसमें पर्याप्त मात्रा में ईंधन मौजूद है। मंगलयान को अपने पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में स्थापित करने वाला भारत पहला देश बना था।
इसके साथ ही भारत मंगल की कक्षा में पहुंचने वाले एलीट समूह में शामिल हो गया था। इसरो ने पांच नवंबर 2013 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट (PSLV Rocket) के जरिए यह प्रक्षेपण किया था। इसमें 450 करोड़ रुपये लागत आई थी। मिशन का उद्देश्य मंगल की सतह और वहां खनिजों की संरचना का अध्ययन करना है। इसके अलावा इसका उद्देश्य वहां के वायुमंडल में मिथेन की मौजूदगी के बारे में पड़ताल करना भी है। मंगल पर मिथेन की मौजूदगी जीवन की ओर संकेत करती है।