नई दिल्ली Indira Gandhi time capsule । अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से पहले उसकी नींव के 200 मीटर नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया जाएगा, जिसमें मंदिर से जुड़े कुछ साक्ष्य और अन्य ऐतिहासिक जानकारियों के दफनाया जाएगा। राम मंदिर की जिम्मेदारी संभाल रहे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने रविवार को बताया कि राम मंदिर के नीचे एक टाइम कैप्सूल दबाया जाएगा, ताकि भविष्य में मंदिर से जुड़े तथ्यों को लेकर कोई विवाद न रहे। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद पांच अगस्त को भूमिपूजन के लिए अयोध्या पहुंच रहे हैं।
वैसे टाइम कैप्सूल दफन करने का काम देश में पहली बार नहीं हो रहा है। हाल ही में जेएनयू के प्रोफ़ेसर आनंद रंगनाथन ने एक फ़ोटो ट्वीट करके लिखा है कि पंद्रह अगस्त 1973 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लाल किले के पास एक टाइम कैप्सूल ज़मीन में डाला था। इस टाइम कैप्सूल में क्या जानकारी दबाई गई थी, ये कोई नहीं जानता है।
On August 15, 1973, amid great fanfare, Indira Gandhi buried a vacuum-sealed, copper- and steel-encased time capsule in front of the Red Fort. Set to last 5000 years, its contents have never been made public.
What was in it that was so secretive? pic.twitter.com/Z7gm05cOKR
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) July 26, 2020
गौरतलब है कि 1970 के दशक में इंदिरा गांधी की सफलता चरम पर थी। ऐसी जानकारी है कि उस समय उन्होंने लाल किले के परिसर में ही एक टाइम कैप्सूल दफन करवाया था। इंदिरा गांधी ने उस टाइम कैप्सूल का नाम 'कालपत्र' दिया था।
बाद में कई रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि इंदिरा गांधी ने टाइम कैप्सूल में आजादी के बाद के 25 सालों के घटनाक्रम को साक्ष्यों के साथ दफन करवाया था और इसके लिए उन्होंने इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्ट्रिकल रिसर्च (आईसीएचआर) को अतीत की अहम घटनाओँ के दर्ज करने का काम सौंपा था।
हालांकि तब सरकार के इस फैसले पर काफी विवाद भी हुआ था। तत्कालीन विपक्ष ने इंदिरा गांधी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपना और अपने परिवार का महिमामंडन किया है। 1970 के बाद कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई और मोरारजी देसाई की सरकार बनी। तब चुनाव में उन्होंने वादा किया था कि कालपत्र को खोदकर निकालकर देखा जाएगा कि आखिर उसमें क्या लिखा गया है।
सरकार गठन के कुछ दिनों बाद टाइम कैप्सूल को खोदकर निकाला भी गया, लेकिन मोरारजी देसाई सरकार ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि कालपत्र में आखिर लिखा क्या था। इसलिए आज भी यह रहस्य बना हुआ है कि आखिर इंदिरा गांधी ने जो टाइम कैप्सूल लाल किले के परिसर में गड़वाया था, उसमें क्या लिखा हुआ था।
वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद लालकिला परिसर में जमीन के अंदर से निकाला गया था टाइम कैप्सूल
इसे कहते हैं टाइम कैप्सूल
टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है, जिसे विशेष तत्वों से बनाया जाता है। टाइम कैप्सूल हर तरह के मौसम का सामना करने के काबिल होता है। टाइम कैप्सूल को जमीन के अंदर काफी गहराई में दफनाया जाता है। काफी गहराई में होने के बावजूद भी हजारों साल तक न तो उसको कोई नुकसान पहुंचता है और न ही वह सड़ता-गलता है। टाइम कैप्सूल को दफनाने का मकसद किसी समाज, काल या देश के इतिहास को सुरक्षित रखना होता है। यह एक तरह से भविष्य के लोगों के संपर्क साधने की एक कोशिश होती है, जिसेस आज के युग की जानकारी आने वाली पीढ़ी को दी जा सके।