India Chandrayaan-3 Mission: भारत ने एक नया इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 मिशन सफल हो गया है। विक्रम लैंडर ने चंद्रयान-3 की चांद पर सफलतापूर्वक 23 अगस्त की शाम 06.04 बजे सॉफ्ट लैंडिंग करा दी है। चंद्रयान-2 मिशन असफल रहा था। चंद्रयान-2 की विफलता से सबक लेकर इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 मिशन को सफल बनाया है। इसरो ने एक बड़े बजट फिल्म की कीमत पर मिशन को पूरा किया है।
हम सभी इसरो और चंद्रयान मिशन की सफलता को देख रहे हैं। इसरो के वैज्ञानिक कई महीनों से इस मिशन पर काम कर रहे थे। मिशन लॉन्च के 41 दिन बाद चंद्रयान-3 चांद पर उतर गया। इस मून मिशन पर कितना खर्च हुआ है। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब आगे क्या होगा। इन सवालों के जवाब आपको इस खबर के जरिए मिलेंगे।
इसरो ने बताया कि 6 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च करेगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने घोषणा की है चंद्रयान 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। श्रीहरिकोटा से दोपहर 2.35 बजे जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन द्वारा इसे लॉन्च किया गया।
विक्रम लैंडर चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतर गया है। अब हजार्ड डिटेक्शन कैमरे एक्टिव हो जाएंगे। ये कैमरे लैंडिंग के बाद खतरों की जांच के लिए लगाए गए हैं। इन कैमरों से निरीक्षण के बाद जब सब कुछ ठीक होने का सिग्नल मिला। इसके बाद रोवर बाहर आया। अब रोवर चंद्रमा की यात्रा करेगा और विभिन्न प्रयोग करेगा।
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इस मून मिशन के लिए इसरो ने 615 करोड़ रुपए का बजट रखा है। वहीं रूस के लूना 25 मून मिशन का बजट करीब 1,600 करोड़ रुपए था।
भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर झंडा फहराने वाला पहला देश है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यान का उतरना सबसे कठिन है। यहां का तापमान माइनस 230 डिग्री सेल्सियस है। दावा किया जाता है कि यहां पानी और खनिज मौजूद हैं। इस कारण इसरो ने यहां पर अपना अंतरिक्ष यान उतारा है।
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ऐसा माना जाता है कि दक्षिणी ध्रुव पर गड्ढों में बर्फ के रूप में पानी है। इसके अलावा, अत्यधिक ठंडे तापमान के कारण अपरिवर्तित रूप में जमी हुई अवस्था में पाई जा सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर गड्ढों में जीवाश्म पाए जाते हैं तो उनके अध्ययन से सौर मंडल के निर्माण की घटनाओं पर प्रकाश डाला जा सकता है। बता दें 2008 में चंद्रयान-1 मिशन में चांद की सतह पर पानी के प्रमाण मिले थे।