लखनऊ। उप्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने कार्रवाई से बचने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का दांव खेला है। यही कारण है कि उन्होंने सीधे त्यागपत्र या वीआरएस के लिए आवेदन न कर तमाम शर्तों व सवालों के साथ मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। उन्होंने इस पत्र को सोशल मीडिया पर सार्वजनिक भी कर दिया है। संकेत दिया है कि उनकी अगली पारी अवध की धरती पर खेली जाएगी।
बीते कुछ महीनों से सरकार के खिलाफ ऑनलाइन मोर्चा खोलने के साथ ही सड़क तक पर उतरने वाले सूर्य प्रताप ने गुरुवार को अचानक मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) मांग ली। यह पत्र लिखते समय उन्होंने अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु सह रिटायरमेंट लाभ) नियमावली का तो हवाला दिया है, किंतु सीधे वीआरएस न मांगकर तमाम शर्तें व शिकायतें भी जोड़ दी हैं।
उनके इस कदम को हाल ही में आईपीएस अमिताभ ठाकुर के खिलाफ सरकार की कार्रवाई से जोड़ा जा रहा है। बीते दिनों सूर्य प्रताप की गतिविधियों को लेकर उन्हें एक नोटिस दिया गया था। इसके बावजूद वह सोशल मीडिया पर सरकार विरोधी मुहिम चलाए हुए थे। नोटिस के बाद से ही उनके अगले कदम का इंतजार था। उन्होंने मुख्य सचिव को बड़ा हृदय वाला बताकर उनसे अशिष्टता के लिए माफी भी मांगी है। वैसे सूर्य प्रताप इसी वर्ष 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
छुटभैये नेता भी बनते मुसीबत
अपने पत्र में सूर्य प्रताप ने लिखा है कि अगर कोई अधिकारी निष्ठा व कर्मठता का परिचय देना आरंभ करता है तो स्थानीय राजनीतिक लोग सही रास्ते पर चलने नहीं देते। जरा-जरा सी बातों की शिकायतों पर अधिकारी पर निलंबन या स्थानांतरण की तलवार लटकना आम बात है। सत्तारूढ़ दल के छुटभैये नेता भी मुसीबत बन जाते हैं।
मैनेजर टाइप अफसरों की मौज
सूर्य प्रताप ने लिखा कि सत्तर के दशक तक की समाप्ति तक आईएएस अधिकारियों को बड़े ही सम्मान के साथ देखा जाता था। तब अधिकारियों को रिश्वत लेने या कदाचार पर समाज द्वारा हेय दृष्टि से देखे जाने का भय होता था। नौकरशाहों और राजनेताओं के गठजोड़ ने समूची व्यवस्था को ही पंगु बना डाला है। आज दागी और मैनेजर टाइप के अफसरों की मौज है।
मलाईदार पदों के लिए बोली
इस समय सार्वजनिक उद्यम विभाग में प्रमुख सचिव के रूप में कार्यरत सूर्य प्रताप ने लिखा है कि उत्तर प्रदेश जैसे आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक रूप से पिछड़े राज्य में नौकरशाही का बहुत बड़ा वर्ग जाति तथा राजनीतिक विचारधारा के आधार पर बंट गया है। मलाईदार उच्च पदों के लिए बोली लगाई जाती है।