Changes in IPC CRPC: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक पेश किया। विधेयके के पारित होने के बाद ये तीनों कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा। बता दें कि ये कानून 1860 से लेकर 1872 के बीच लागू हुए थे और तब से अभी तक वैसे ही चल रहे थे। कई कानूनी विशेषज्ञों ने शुक्रवार को सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह कानून देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को मजबूत करेगा क्योंकि इन पुराने प्रमुख आपराधिक कानूनों में संशोधन की सख्त जरूरत थी।
लोकसभा में शुक्रवार को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 पेश किए गए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विधेयकों को जांच के लिए स्थायी समिति के पास भेजा जा रहा है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, पूर्व केंद्रीय कानून सचिव पीके मल्होत्रा ने कहा कि आईपीसी, साक्ष्य अधिनियम और सीआरपीसी की जगह लेने वाले ये तीन विधेयक आपराधिक न्याय प्रणाली का एक बहुप्रतीक्षित और वांछित सुधार हैं।
ब्रिटिश काल के आईपीसी, साक्ष्य अधिनियम और सीआरपीसी की जगह लेने वाले तीन विधेयक आपराधिक न्याय प्रणाली का एक बहुप्रतीक्षित और वांछित सुधार है। अब तक किए गए सुधारों और विधि आयोग की रिपोर्ट और न्यायमूर्ति मलिमथ समिति की रिपोर्ट सहित कई रिपोर्टों के बावजूद, आम आदमी को न्याय मिलना बहुत दूर की बात है और छोटे-मोटे अपराधों के मुकदमे का सामना करने वाले आरोपी लंबे समय तक विचाराधीन कैदी के रूप में जेलों में बंद रहते हैं। - पीके मल्होत्रा, कानून सचिव
इस बीच, कानूनी विशेषज्ञों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता के.के मनन ने कहा कि कानून सौ साल से भी पहले लागू किए गए थे और समाज की वर्तमान स्थिति के अनुसार इनमें संशोधन की सख्त जरूरत थी। पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी तीनों विधेयकों को ऐतिहासिक बताया और कहा कि ये भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को मजबूत करेंगे। भारतीय न्याय संहिता 2023, आईपीसी 1860 को प्रतिस्थापित करेगा, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CPC) को प्रतिस्थापित करेगा और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को प्रतिस्थापित करेगा।
जब भी कोई विधान मंडल कोई नया कानून बनाती है या किसी कानून में संशोधन करती है तो वह समाज के कल्याण के लिए किया जाता है। समाज की वर्तमान स्थिति के अनुसार नए संशोधन किए जाते हैं। मैं सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस फैसले का स्वागत करता हूं। - के.के. मनन, वरिष्ठ वकील
कानून के प्रमुख प्रावधानों में राजद्रोह को निरस्त करना, मॉब लिंचिंग के खिलाफ एक नई दंड संहिता, नाबालिगों के बलात्कार के लिए मौत और छोटे अपराधों के लिए पहली बार सामुदायिक सेवा को दंड के रूप में शामिल करना शामिल है। इसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध, हत्या और राज्य के खिलाफ अपराधों को प्राथमिकता दी गई है। अलगाववादी गतिविधियों या भारत की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालने वाले कृत्यों पर नए अपराध जोड़े गए हैं।