एजेंसी, वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थिति ज्ञानवापी की एएसआई सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी है। ज्ञानवापी परिसर की दीवारें और अवशेष पर हिंदू धर्म से जुड़े कई शब्द व चित्र पूर्व में यहां मंदिर होने का साक्ष्य दे रही हैं।
इस बीच, विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने मांग कर दी है कि मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी परिसर खाली करके हिंदुओं को सौंप दे। ज्ञानवापी मामले में दोनों पक्षों को एएसआई रिपोर्ट उपलब्ध कराए जाने के बाद विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील आलोक कुमार ने ज्ञानवापी मस्जिद को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने और ज्ञानवापी परिसर की जमीन काशी विश्वनाथ समिति या हिंदू समाज को देने की मांग की।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, मार्बल व बलुआ पत्थर के कई शिवलिंग और नंदी संकेत दे रहे हैं कि यहां पूर्व में विधि- विधान से पूजा-पाठ होता रहा होगा। इसमें एक मार्बल का 2.5 सेमी लंबा, 3.5 सेमी चौड़ा बलुआ पत्थर का शिवलिंग सही स्थिति में मिला है। इसी प्रकार 8.5 सेमी लंबा, 5.5 सेमी ऊंची व 4 सेमी चौड़ा पत्थर का नंदी भी ठीक स्थिति में है।
इसी प्रकार 21 सेमी ऊंची, छह सेमी चौड़ा बलुआ पत्थर का एक शिवलिंग के साथ बलुआ पत्थर से निर्मित भगवान विष्णु की 50 सेमी ऊंची, 30 सेमी चौड़ी मूर्ति व गणेश की 8.5 सेमी लंबी व 3.5 सेमी चौड़ी टेराकोटा पत्थर की मूर्ति की तस्वीर भी ASI ने अपनी रिपोर्ट में जारी की है।
इसी प्रकार एक बीम पर नागरी लिपि में लिखे ‘कासी’ को दर्शाया है। इसकी तस्वीर भी रिपोर्ट में जारी है। इसके अलावा अवशेष पर संस्कृत में लिखे शब्द श्रीमच्छा, पा भृगुवास, वद्विजातिश्च, आय अर्जानी, णरायै परोप, जातिभिः धर्मज्ञः अंकित है।
ASI ने इसे 16वीं शताब्दी का अवशेष बताया है। एक दीवार पर संस्कृत में रुद्राद्या व श्रावना का उल्लेख है। संस्कृत में लिखे यह समस्त शब्द ज्ञानवापी परिसर के पुरातन इतिहास को दर्शा रही है।