Gulam Rasool Balyawi: बिहार में जदयू नेता की सेना पर विवादित टिप्पणी, भड़की भाजपा, जानिए पूरा मामला
Gulam Rasool Balyawi: BJP प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, गुलाम रसूल बलयावी ने जो कहा वह सनातन धर्म, धार्मिक नेताओं और सेना का अपमान है।
By Arvind Dubey
Edited By: Arvind Dubey
Publish Date: Tue, 14 Feb 2023 07:27:54 AM (IST)
Updated Date: Tue, 14 Feb 2023 07:27:54 AM (IST)
JDU leader Gulam Rasool Balyawi Gulam Rasool Balyawi: नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के एक नेता ने सेना पर विवादित बयान दिया है, जिसके बाद भाजपा भड़क गई है। जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधान पार्षद (एमएलसी) गुलाम रसूल बलियावी ने रविवार को नवादा में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान के आतंकियों से निपटने में डर लग रहा है, तो सेना में 30 प्रतिशत मुस्लिमों को जगह दे दो।
बकौल बलियावी, अगर हमारी औलादें आतंकवादी हों, तो उन्हें फांसी पर लटका दो। हम उसकी लाश नहीं लेंगे, लेकिन यह बताना होगा कि लाखों-करोड़ों लेकर, जो लोग विदेश भागे हैं, वह यह भारत के वफादार हैं या गद्दार।
गुलाम रसूल बलियावी ने सेना पर क्या कहा
गुलाम रसूल बलियावी ने आगे कहा कि इस्लाम का कोई काम सरकार के खजाने से नहीं होता। वो कोई और लोग होंगे, जो हुकूमत के खजानों से दीया जलाते हैं। हमें मालूम है कि हमें वतन के लिए क्या-क्या करना है।
उन्होंने कहा कि जब पाकिस्तान मिसाइल बनाकर भारत को आंखे दिखा रहा था तो नागपुर से कोई बाबा जवाब देने नहीं आए थे। मुसलमान के बेटे एपीजे अब्दुल कलाम ने जवाब दिया था। भारत का मुसलमान महसूस कर रहा है कि जिस तरह दलित एक्ट बना है, उसी तरह भारत में मुस्लिम सेफ्टी एक्ट बने।
गुलाम रसूल बलियावी ने मरकजी इदार-ए-शरिया के कार्यक्रम में मौजूद लोगों से उन्होंने अपील की कि दहेज खत्म करो, बच्चों को पढ़ाओ। आसपास के लोगों से प्यार करो। रसूल वाला नफरत नहीं, मुहब्बत करता है। अपने देश का संविधान बचाना होगा। अदालत पर भरोसा रखो। जान देना पड़े तो दे देना, अपने मुल्क की इज्जत से सौदा कभी मत करना।
गुलाम रसूल बलियावी के बयान पर भाजपा की प्रतिक्रिया
जदयू नेता की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि गुलाम रसूल बलयावी ने जो कहा वह सनातन धर्म, धार्मिक नेताओं और सेना का अपमान है।
निखिल आनंद ने कहा, 'अगर गुलाम रसूल बलियावी को मुसलमानों की इतनी ही चिंता है, तो उन्हें 80 फीसदी पसमांदा मुसलमानों को उनकी संख्या के अनुपात में उचित सम्मान, न्याय और भागीदारी देने के लिए धार्मिक सुधार आंदोलन चलाना चाहिए।'