Geminid Meteor Shower: आज रात को होगी उल्काओं की बारिश, ऐसे देख सकते हैं ये शानदार नजारा
Geminid Meteor Shower जेमिनिड मीटियोर शॉवर एस्टेरॉयड (क्षुद्रग्रह) या 'रॉक कॉमेट' 3200 फेथॉन के पीछे छोड़े गए धूल भरे मलबे का के कारण होता है। ये उन प्रमुख उल्का पिंड की बारिश में से है, जो धूमकेतु के कारण नहीं होती हैं।
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Wed, 14 Dec 2022 02:58:39 PM (IST)
Updated Date: Wed, 14 Dec 2022 02:58:39 PM (IST)
Geminid Meteor Shower। देश में आज रात को अंतरिक्ष में अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक भारत में जेमिनिड मीटियोर शॉवर का दिन 14 और 15 दिसंबर तय किया गया। उल्का पिंडों की बारिश बेंगलुरु में आसानी से देखी जा सकती है। मिली जानकारी के मुताबिक उल्का पिंड की बारिश रात 2 से 3 बजे के बीच चरम पर होगी और 100 से अधिक उल्काएं धरती की ओर आती हुई दिखाई देगी।
बगैर टेलीस्कोप के दिखेगी खगोलीय घटना
बेंगलुरु में रहने वाले लोगों को यह खगोलीय घटना बिना किसी टेलीस्कोप के भी दिखाई देगी। यदि आपने आज रात को यह अद्भुत नजारा देखने से गंवा भी दिया तो कल 15 दिसंबर को भी इस घटना को देख सकते हैं। गौरतलब है कि जेमिनिड मीटियोर शॉवर को साल के सबसे मीटियोर शॉवर में से एक माना जाता है। इस साल जेमिनिड्स 14 और 15 दिसंबर की रात को चरम पर होंगे। उल्काओं की बारिश करीब 150 उल्का प्रति घंटे की दर से होगी।
जानिए क्या होता है जेमिनिड्स शावर
जेमिनिड मीटियोर शॉवर एस्टेरॉयड (क्षुद्रग्रह) या 'रॉक कॉमेट' 3200 फेथॉन के पीछे छोड़े गए धूल भरे मलबे का के कारण होता है। ये उन प्रमुख उल्का पिंड की बारिश में से है, जो धूमकेतु के कारण नहीं होती हैं। दरअसल जब धरती उल्कापिंड 3200 फेटन द्वारा पीछे छोड़े गए धूल भरे रास्ते से होकर गुजरती है, तो उल्कापिंड द्वारा धूल व पत्थरों का प्रवेश धरती के वायुमंडल में होने लगता है। जो हमें जेमिनिड मीटियोर शॉवर के रूप में दिखाई देता है।
जेमिनिड्स की रफ्तार 35 किमी प्रति सेकंड
नासा के मुताबिक जेमिनिड्स 78,000 मील प्रति घंटे (35 किमी/सेकंड) की गति से यात्रा करते हैं और इनकी गति चीते से लगभग 1000 गुना तेज है। उल्काएं आमतौर पर धूमकेतुओं के टुकड़े होते हैं। जैसे ही वे तेज गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, वे घर्षण के कारण जलने लगते हैं। वेदर चैनल ने बताया है कि आज रात को 1 घंटे में 100-150 उल्काएं गुजरेंगी, लेकिन प्रदूषण के कारण बेंगलुरु के लोग संभवत: इसे नहीं देख पाएंगे।