गजाधर द्विवेदी, गोरखपुर। मांग के अनुरूप सभी पुस्तकें समय से प्रकाशित कर पाने की गीता प्रेस की समस्या अब दूर गई है। लंबे समय से यह समस्या बनी हुई थी। गीता प्रेस में लगभग 52 लाख रुपये की छपाई की एक और मशीन मंगाई गई है। यह मशीन बल्लभगढ़, हरियाणा से आई है। पांच मशीनें पहले से हैं, लेकिन उनसे सभी पुस्तकों की समय से छपाई संभव नहीं हो पा रही थी।
गीताप्रेस की पुस्तकों की मांग बनी रहती है। इसलिए, हमेशा लगभग दो से ढाई सौ पुस्तकें आउट ऑफ प्रिंट रहती हैं। कुछ खास पुस्तकों-श्रीरामचरितमानस, गीता व बाल साहित्य आदि की छोटी-बड़ी कई साइज में छपी पुस्तकों की मांग कुछ ज्यादा ही है। इसके अलावा 35 पुस्तकों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। पुस्तकें तैयार हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक उनका एक भी संस्करण नहीं निकल पाया है।
इनमें हनुमान चालीसा से लेकर पांडव गीता, श्रीराम गीता, श्रीमद्भागवत महापुराण, गीता प्रबोधनी, सत्यनारायण व्रत कथा, विष्णु पुराण, विवाह संस्कार, वाल्मीकि रामायण आदि के बंगला, तमिल, मराठी, नेपाली, तेलुगु, गुजराती, अंग्रेजी आदि के संस्करण हैं। नई मशीन आ जाने से अब जहां पूर्व में प्रकाशित पुस्तकों के नए संस्करण मांग के अनुरूप समय से प्रकाशित हो सकेंगे, वहीं जो पुस्तकें तैयार हैं लेकिन अभी उनका एक भी संस्करण नहीं निकल पाया है, वे भी पाठकों तक पहुंच सकेंगी।
गीताप्रेस की पुस्तकों की सबसे बड़ी विशेषता है कि वे किसी भी भाषा में क्यों न हों, उस भाषा के व्याकरण के अनुसार पूरी शुद्धता के साथ उनका प्रकाशन किया जाता है। इसलिए, गीताप्रेस की पुस्तकों की मांग सदैव बनी रहती है। बहुत सारी पुस्तकों के नए संस्करण समय से प्रकाशित करने में दिक्कत आ रही थी। साथ ही कुछ पुस्तकों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद कराकर रखा गया है, उन्हें हम प्रकाशित नहीं कर पा रहे थे। इसलिए, नई मशीन मंगाई गई है। -लालमणि तिवारी, उत्पाद प्रबंधक, गीताप्रेस