GE Aerospace Deal: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे का सबसे बड़ा फायदा रक्षा मामलों में हुआ है। अमेरिकी कंपनी जीई एरोस्पेस ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ भारत में लड़ाकू विमानों के इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। जीई और हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने एफ414 जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए एक सहमति पत्र (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। साथ ही अमेरिकी संसद की ओर से अधिसूचित किए जाने के लिए एक निर्यात लाइसेंस समझौता सौंपा गया है। जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) की ओर से संयुक्त रूप से उत्पादन करने के इस प्रस्ताव को अमेरिका और भारत, दोनों ने स्वागत किया है।
भारत ने स्वदेशी तकनीक की मदद से अपने एलसीए तेजस विमान वेरिएंट के लिए कावेरी इंजन विकसित किया है, लेकिन इस प्रोजेक्ट में काफी देरी हो रही है। ऐसे में भारत ने शुरुआती 113 एलसीए विमानों के लिए जीई-404 इंजन और एलसीए मार्क 2 के लिए जीई-414 खरीदे। इस वजह से लड़ाकू विमानों की लागत बढ़ गई। अब GE और HAL की ओर से इस जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन से भारत में लड़ाकू विमानों के निर्माण की गति और संख्या काफी तेजी से बढ़ जाएगी।
आपको बता दें कि अमरीका ने इस तकनीक के हस्तांतरण पर इतनी रोक लगा रखी है कि अभी तक इसे अपने नाटो सहयोगियों के साथ भी साझा नहीं किया है। ऐसे में भारत को ना सिर्फ मौजूदा तकनीक मिलेगी, बल्कि भविष्य में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण (टीओटी) का प्रतिशत और बढ़ने की उम्मीद है। प्रौद्योगिकी के इस हस्तांतरण के साथ, पुर्जे देश में बनाए जाएंगे और इससे जुड़ी तमाम प्रक्रियाओं और कोटिंग्स आदि की जानकारी प्राप्त होगी।