नई दिल्ली Ford Company insulted Ratan Tata । देश के प्रख्यात उद्योगपति रतन टाटा 83 साल के हो चुके हैं और जीवन मे की सफलताएं हासिल कर चुके हैं। कई लोग रतन टाटा को अपने जीवन का आदर्श मानते हैं। रतन टाटा जहां अपने सादगीपूर्ण जीवन के ख्यात हैं, वहीं जीवन में आए कई उतार-चढ़ाव भरे किस्से भी लोगों को प्रेरणा देते रहते हैं। रतन टाटा के जीनन में एक समय ऐसा भी आया था जब अपमान का घूंट पीकर मजबूर होना पड़ा था और करीब 8 साल बाद उन्होंने उसका बदला भी लिया था। आइए जानते हैं इस रोचक किस्से के बारें -
साल 1988-99 का है ये किस्सा
साल 1998-99 में रतन टाटा ने अपनी ड्रीम कार टाटा इंडिका लांच की थी। लेकिन इन ड्रीम कार से रतन टाटा को जितनी उम्मीद थी, बाजार में यह उतनी खरी नहीं उतरी और टाटा मोटर्स को भारी वित्तीय घाटा उठाना पड़ा था। ऐसी संकट की घड़ी में शेयरहोल्डर्स ने टाटा कंपनी के शेयर बेचने का सुझाव दिया था।
फोर्ड कंपनी खरीदना चाहती थी टाटा मोटर्स
टाटा माटर्स को बेचने का प्रस्ताव जब सामने आया तो अमेरिकी कंपनी फोर्ड ने इसमें रूचि दिखाई। रतन टाटा इस संबंध में जब बात करने के लिए अमेरिका में फोर्ड मोटर के हेड ऑफिस पहुंचे तो उनके साथ कंपनी के कुछ शेयरहोल्डर्स भी पहुंचे। फोर्ड कंपनी के साथ रतन टाटा की करीब 3 घंटे मीटिंग चली। इस बैठक के दौरान फोर्ड के चेयरमैन ने रतन टाटा पर कटाक्ष करते हुए अपमानजनक अंदाज में कहा कि "जब तुम्हें कार बिजनेस की कोई जानकारी नहीं थी तो, तुमने इस कार को लांच करने में इतना पैसा क्यों लगा दिया? खैर, हम फोर्ड तुम्हारी कंपनी को खरीदकर तुम पर अहसान कर रही है।
रतन टाटा को चुभ गई फोर्ड के अधिकारी की बात
रतन टाटा को फोर्ड के अधिकारी के यह बात बेहद बुरी लगी और मीटिंग को छोड़कर भारत लौट आए। इस मीटिंग के बाद रतन टाटा ने टाटा मोटर्स को बेचने का फैसला दिमाग से निकाल दिया और फिर एक बार मेहनत करने की ठानी और सफलता हासिल की।
घाटे के कारण दिवालिया हो गई फोर्ड
इस बीत 2008 में आई वैश्विक मंदी के कारण फोर्ड कंपनी घाटे के कारण दिवालिया होने की कगार पर आ गई। ऐसे में रतन टाटा ने फोर्ड की लेंड रोवर और जगुआर को खरीदने का प्रस्ताव रखा, जिनके कारण ही फोर्ड कंपनी घाटे में गई थी। इस तरह करीब 8 साल बाद रतन टाटा ने उसी कंपनी की हिस्सेदारी खरीद ली, जिसके अधिकारियों ने उनका कटाक्ष करते हुए अपमान किया था।