किशन प्रजापति, अहमदाबाद। अहमदाबाद के जय भोले ग्रुप ने सोने, चांदी, तांबे, पीतल और लोहे से से श्री यंत्र बनाया है। यह 2200 किलो का दुनिया का सबसे बड़ा श्री यंत्र है। इस श्री यंत्र को शक्तिपीठ अंबाजी मंदिर में स्थापित किया जाएगा। जय भोले ग्रुप के दीपेशभाई पटेल ने हमारे सहयोगी गुजराती जागरण से बातचीत की। उन्होंने श्री यंत्र की विशेषताएं और इसे बनाने की प्रकिया के बारे में जानकारी दी।
दीपेशभाई पटेल ने बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा श्री यंत्र पांच धातुओं से बना है। इसकी ऊंचाई, चौड़ाई और लंबाई 4.6 फीट है। इतना ऊंचा इस लिए बनाया गया ताकि आसानी से पूजा की जा सके। उन्होंने कहा, ''इस यंत्र को नीचे की तरफ से देखें को इसके चारों ओर द्वार हैं। इसमें 8 सिद्धियों का वास है। उसके ऊपर तीन आवरण हैं, जो भूत, वर्तमान और भविष्य है।''
दीपेशभाई पटेल ने कहा कि यंत्र के ऊपर कमल की 16 पंखुडियां है। जिन पर मां विराजमान हैं और ऊपर की ओर अष्ट नागदल है। उसके ऊपर 14 मन्वंतर और 10 महाविद्याएं हैं। इसके ऊपर विष्णु जी के 10 अवतार हैं। उसके ऊपर 8 वसु हैं। इसके ऊपर ब्रह्मा, विष्णु, शिवजी, महालक्ष्मी, महाकाली और सरस्वती का वास है। वहीं, इसके शीर्ष पर ललिता त्रिपुर सुंदरी विराजमान हैं।
दीपेशभाई पटेल ने कहा कि आठ वर्ष पहले श्री यंत्र को बनाने का विचार आया था। श्री विद्या में चार द्वारा का वर्णन है। आदि शंकराचार्य द्वारा लिखी गई श्री विद्या के हिस्से के रूप में सौंदर्य लहरी की विद्याएं यंत्र के अंदर लिखी हैं। इस यंत्र में सामने की ओर से ऊपर के पांचों को शक्ति कहा जाता है। पटेल ने आगे कहा, ''इसके ऊपर से पीछे की ओर पांच भाग शिव कहलाते हैं। उन्हें यंत्रों का राजा कहा जाता है। अंबाजी मंदिर में श्री यंत्र को स्थापित करना हमारे लिए गर्व की बात है।''
दीपेशभाई ने बताया कि शोध के बाद तीन साल पहले 150 एमएम का श्री यंत्र बनाया गया था। उसमें हुई गलतियों को सुधारकर हमने श्रृंगेरी मठ और ज्योर्ति मठ के शंकराचार्य की मदद ली। उनके द्वारा श्री यंत्र में सुधार किए जाने के बाद हमने सबसे पहले श्री यंत्र की प्रतिकृति बनाई, जो सही थी। जिसके तहत हमने दुनिया का सबसे बड़ा पंचधातु श्री यंत्र बनाया है।
उन्होंने कहा, ''इस यंत्र को बनाने के लिए किसी भी तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया गया है। दरअसल सोने और चांदी को पिघलाने के लिए उसे कम तापमान की जरूरत होती है।'' वहीं, तांबे, पीतल और लोहे को पिघलाने के लिए 1200 डिग्री से ज्यादा तापमान की जरूरत होती है। इस स्थिति में सोना और चांदी 1200 डिग्री पर नहीं रहेगा। भले ही हम श्री यंत्र में जितना डालते, उतना ही वापस मिल जाता है।