Chandrayaan-3 Mission: इसरो अपने प्रोजेक्ट चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया। 14 जुलाई (शुक्रवार) को चंद्रयान-3 ने दोपहर 02.35 बजे चंद्रमा के लिए उड़ा भरी। करीब 45 से 50 दिन के बाद चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग होगी। चंद्रमा पर चंद्रयान-3 को भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया है। यह भारत का तीसरा मून मिशन है। अगर विक्रम लैंडर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करता है, तो ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा। आइए आगे जानते हैं चंद्रयान-3 के बारे में पूरी जानकारी।
चंद्रयान-3 का उद्देश्य चांद की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करना है। साथ ही सटीक लैंडिंग हासिल करने में तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर एक रोवर तैनात करेगा। रोवर इन-सीटू वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट और लूनर एनवायरनमेंट के बारे में डेटा इकट्ठा करेगा। चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य चांद पर इन-सीटू साइंटिफिक प्रयोग करना है। ये एक्सपेरिमेंट्स मून की सतह की कम्पोजीशन और जियोलाजिकल फीचर्स के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।
चंद्रयान-3 को इंटरप्लेनेटरी मिशन के लिए नई तकनीकों को विकसित और प्रदर्शित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह लैंडिंग सिस्टम और खगोलीय पिंडों पर गतिशीलता और क्षमताओं में प्रगति में सहायता करेगा।
चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। यह साउथ पोल पर उतरने वाला पहला मिशन होगा। बता दें इस क्षेत्र में बर्फ होने का अनुमान है। इस मिशन का लक्ष्य अज्ञात क्षेत्र की भूविज्ञान और संरचना पर स्टडी करना है।
चंद्रयान-3 तापीय चालकता और रेजोलिथ गुणों के कारण लैंडिंग साइट का पता लगाने में मदद करेगा। यह जानकारी भविष्य के मिशनों और मानव अन्वेषण के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी।
चांद के दक्षिणी ध्रुव से प्राप्त डेटा और निष्कर्ष ग्लोबल साइंटिफिक कम्युनिटी के लिए प्रासंगिक साबित होंगे।मून से साउथ पोल पर लैंडिंग भारत की तकनीकी कैशल और स्पेस एक्सप्लोरेशन की खोज को प्रदर्शित करेगी।
चंद्रयान-3 को लॉन्च व्हीकल मार्क 3 रॉकेट के लिए जरिए लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन में ऑर्बिटर शामिल नहीं है।
चंद्रयान-3 को उतारने की जिम्मेदारी रितु करिधाल को सौंपी गई है। रितु को भारत की रॉकेट वुमन के नाम से जाना जाता है। अंतरिक्ष क्षेत्र में उनके लंबे अनुभव को देखते हुए उन्हें मिशन निदेशक बनाया गया है।