Chandrayaan-3 Moon Landing: टचडाउन के आखिरी 15 मिनट में कब क्या हुआ, ऐसे हुई सफल लैंडिंग
Chandrayaan-3 Moon Landing तय समय के अनुसार शाम 6.04 बजे इसरो के विक्रम लैंडर ने चांद के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करके इतिहास रच दिया।
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Wed, 23 Aug 2023 09:25:27 AM (IST)
Updated Date: Wed, 23 Aug 2023 06:13:49 PM (IST)
विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया 5.45 से शुरू हो जाएगी और शाम 6.04 के आसपास लैंडर चांद की सतह को छू लेगा। HighLights
- विक्रम लैंडर 25 किमी की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू किया।
- भारत के लिए आज 23 अगस्त की तारीख ऐतिहासिक बन गई।
- Chandrayaan-3 का लैंडर विक्रम आज चांद की सतह की ओर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए बढ़ा।
Chandrayaan-3 Moon Landing। भारत के लिए आज 23 अगस्त की तारीख ऐतिहासिक बन गई है। Chandrayaan-3 के लैंडर विक्रम ने चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर ली। इसरो के मुताबिक, विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया 5.45 से शुरू हुई और शाम 6.04 के आसपास लैंडर चांद की सतह को छू गया। चंद्रयान-3 मिशन के आखिरी 15 से 20 मिनट काफी खौफ रहे. इस दौरान मिशन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
ऐसे धीमी होती जाएगी विक्रम लैंडर की गति
- विक्रम लैंडर ने 25 किमी की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू की।
- अगले स्टेज तक पहुंचने में विक्रम लैंडर को करीब 11.5 मिनट का समय लगा।
- विक्रम लैंडर जब 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई पर था, तब इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकंड रही।
- विक्रम लैंडर जब 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर था, तब उसकी गति 336 मीटर प्रति सेकंड तक हो गई।
- जब लैंडर 800 मीटर की ऊंचाई पर था, उसमें लगे सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह का चुनाव किया।
- जब विक्रम लैंडर 150 मीटर की ऊंचाई पर था, तब लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड रही।
- 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 40 मीटर प्रति सेकंड हो गई।
- जब लैंडर चांद की जमीन को छूने वाला था, उससे पहले 10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकंड हो गई
- चंद्रमा की सतह पर उतरते समय सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकंड तक हो गई थी।
- तय समय के अनुसार शाम 6.04 बजे इसरो के विक्रम लैंडर ने चांद के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करके इतिहास रच दिया।
सॉफ्ट लैंडिंग के लिए ये थी चुनौतियां
- चांद पर उतरते समय लैंडर की रफ्तार को नियंत्रित रखना। पिछली बार चंद्रयान-2 की रफ्तार अधिक होने के कारण लैंडर क्रैश कर गया था।
- लैंडर विक्रम के सामने दूसरी चुनौती थी कि लैंडर उतरते समय सीधा रहे, जिससे रोवर को निकलने में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न हो।
- विक्रम लैंडर के सामने तीसरी बड़ी चुनौती ये थी कि वह उसी समतल स्थान पर लैंड करें, जिसका चुनाव इसरो ने किया है। असमतल स्थान पर लैंड करने से लैंडर के साथ-साथ रोवर को भी काम करने में दिक्कत आ सकती है।