किसानों की सुविधा, डीजल की बचत और बेहतर पर्यावरण को देखते हुओए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने सेंट्रल मोटर व्हीकल (CMV) रूल्स 1989 में संशोधन किया है। इसके तहत अब ट्रैक्टर, हार्वेस्टर जैसे खेती-किसानी में काम आनेवाले वाहनों को CNG से चलाया जा सकेगा। इससे ना सिर्फ डीजल पर खर्च होनेवाले पैसों की बचत होगी, बल्कि गांवों में बढ़ रहे प्रदूषण पर भी लगाम लग सकेगी। परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से ट्वीट कर ये जानकारी दी गई है। नए नियमों के तहत कृषि उपकरणों एवं वाहनों के इंजन में बदलाव किया जाएगा और जिनमें सुधार की गुंजाइश होगी उनमें थोड़े बदलाव किए जाएंगे। ये बदलाव इस तरह होंगे कि इन्हें सीएनजी (CNG), बायो सीएनजी या LNG फ्यूल से भी चलाया जा सकेगा।
The Ministry has notified an amendment in CMV Rules 1989 to provide for conversion , by modification, or replacement, of engines of in-use #agriculture #tractors, #powertillers, construction equipment vehicles & combined #harvesters for operation on #CNG, #BioCNG & #LNG fuels pic.twitter.com/xTYanfvoyg
— PIBIndiaMoRTH (@PIBMoRTH) May 20, 2021
आपको बता दें कि इस साल फरवरी में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने देश के पहले सीएनजी ट्रैक्टर को पेश किया था। उन्होंने दावा किया था कि इस ट्रैक्टर से ना सिर्फ पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकेगा, बल्कि इससे किसानों का खर्च भी कम होगा। सुरक्षा के लिहाज से भी CNG ट्रैक्टर बेहतर हैं. सीएनजी टैंक पर कड़ी सील लगाई जाती है, इससे इसमें ईंधन भरने के दौरान या ईंधन फैलने की स्थिति में विस्फोट खतरा कम होता है।
सरकारी दावे के मुताबिक सीएनजी ट्रैक्टर के इस्तेमाल से एक साल में डेढ़ लाख तक बचत हो सकती है। अभी डीजल वाले ट्रैक्टर पर लगभग 3-3.5 लाख रुपए तक का खर्च आता है। इसके अलावा डीजल के मुकाबले सीएनजी ट्रैक्टर कार्बन उत्सर्जन भी कम करेगा। जानकारों के मुताबिक सीएनजी कृषि वाहनों के इस्तेमाल से पचास फीसदी तक कार्बन उत्सर्जन कम हो सकता है।