afghanistan Crisis : अफगानिस्तान के बदलते ताजा घटनाक्रम पर भारत कड़ी नजर रखे हुए है। देश के पीएम नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर एक विशेष हाई लेवल ग्रुप अफगानिस्तान में भारत की प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसमें भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने से लेकर अफगानिस्तान में भारत के खिलाफ पनपनेवाले आतंका संगठनों पर नजर रखना भी शामिल है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान को लेकर मंगलवार सुबह ही जो प्रस्ताव पारित किया है, वह भी इन्हीं के प्रयासों का हिस्सा है। समूह यह सुनिश्चित करने का काम भी कर रहा है कि अफगानिस्तान की सरजमीं का भारत के खिलाफ किसी आतंकी गतिविधि के लिए इस्तेमाल ना हो।
क्यों बना है ये हाई लेवल ग्रुप?
भारत सरकार ने अफगानिस्तान के हालातों पर नजर रखने और भारत के हितों और प्राथमिकताओं का ध्यान रखने के लिए एक उच्चस्तरीय समूह बनाया था। पीएम मोदी ने इस समूह को भारत के सुरक्षा हितों और अफगानिस्तान में तात्कालिक प्राथमिकताओं पर फोकस करने का निर्देश दिया है। इस उच्चस्तरीय समूह में विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और कुछ अन्य उच्च अधिकारी शामिल हैं। यह समूह पिछले कुछ दिनों से लगातार नियमित तौर पर बैठकें कर रहा है। साथ ही अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी और अफगान नागरिकों, खासकर अल्पसंख्यकों की भारत वापसी पर ध्यान दे रहा है।
अभी बचा है भारतीयों की वापसी का काम
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले हफ्ते स्वीकार किया था कि कम से कम 20 भारतीय नागरिक काबुल से एक सैन्य निकासी उड़ान से छूट गए। लेकिन अफगानिस्तान में अभी भी कितने भारतीय बचे हैं, इसकी सटीक संख्या नहीं दी गई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारतीयों की ओर से निकासी के और अनुरोध आने के बाद संख्या बदल गई है। वैसे माना जा रहा है कि कई दर्जन भारतीय अभी भी अफगानिस्तान में हैं। तालिबान ने 140 अफगान सिखों और हिंदुओं को भी काबुल हवाई अड्डे में प्रवेश करने से रोक दिया था। भारत का कहना है कि वह उन अफगानों के साथ भी खड़ा होगा जिन्होंने देश का समर्थन किया और जो तालिबान से खतरों का सामना कर रहे हैं या उत्पीड़न के शिकार हुए हैं।