बांबे हाई कोर्ट ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में रिपोर्टिग करते समय मीडिया को संयम बरतने की सलाह दी है। दो जजों की खंडपीठ ने जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह सलाह दी है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एए सैयद एवं एसपी तावड़े गुरुवार को सुशांत मामले में दो अलग-अलग दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस मामले की रिपोर्टिग करते हुए अतिरंजना से बचा जाना चाहिए।सामाजिक कार्यकर्ताओं की याचिका पर जिरह करते हुए उनके वकील देवदत्त कामत ने कहा कि हम सब प्रेस की आजादी का समर्थन करते हैं। यह लोकतंत्र का चौथा खंभा है। यह देश तभी बचेगा, जब मीडिया मुखर रहेगा। लेकिन, मीडिया की कुछ जिम्मेदारियां भी होनी चाहिए। इन जिम्मेदारियों का अतिक्रमण होने पर न्याय प्रभावित होगा। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से अपील की है कि इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, रेडियो, इंटरनेट, टेलीविजन इत्यादि के लिए वह एक दिशा-निर्देश जारी करे। समाचार माध्यमों या सोशल मीडिया के जरिये ऐसी बातें न प्रसारित की जा सकें, जिनसे पुलिस की छवि खराब होती हो या उस पर से आम जनता का भरोसा टूटता हो। याचिकाकर्ताओं की ओर से नैतिक रिपोर्टिग की जरूरत पर जोर देते हुए कुछ टेलीविजन चैनलों का नाम लेकर सुशांत मामले में अतिरंजित रिपोर्टिग करने की शिकायत की गई है। उनका कहना है कि इससे लोगों के मन में भ्रम पैदा होता है।
तीन याचिकाएं दायर हुईं हैं
इनमें से पहली याचिका तीन सामाजिक कार्यकर्ताओं नीलेश नवलखा, महीबूब डी शेख एवं सुभाषचंद्र छाबा की ओर से दायर की गई है। दूसरी याचिका मुंबई पुलिस के सेवानिवृत्त आठ बड़े अधिकारियों की तरफ से दायर की गई है। दूसरी याचिका मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त एमएन सिंह एवं धनंजय जाधव, पूर्व पुलिस महानिदेशक पीएस पसरीचा, के सुब्रह्माण्यम, डी शिवनंदन, संजीव दयाल, सतीशचंद्र माथुर एवं पूर्व एटीएस प्रमुख केपी रघुवंशी ने क्रॉफर्ड बेले एंड कंपनी के वकील संजय आशर के जरिये दायर की है। इन पूर्व पुलिस अधिकारियों की ओर से जिरह करते हुए वरिष्ठ वकील डॉ. मिलिंद साठे ने कहा कि सुशांत मामले में की जा रही रिपोर्टिग में मुंबई पुलिस की छवि खराब करने एवं निष्पक्ष जांच की दिशा प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।
जांच का विवरण किसी से साझा नहीं करती CBI
CBI ने गुरुवार को कहा कि वह सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच व्यवस्थित और पेशेवर तरीके से कर रही है। इसने कहा कि जांच को लेकर मीडिया में आ रहीं रिपोर्टें काल्पनिक हैं और तथ्य पर आधारित नहीं हैं। एजेंसी ने जोर देकर कहा कि जहां तक नीति का सवाल है, तो CBI जांच का विवरण किसी से साझा नहीं करती है। CBI प्रवक्ता या जांच टीम के किसी सदस्य ने मीडिया के साथ कोई विवरण साझा नहीं किया है।