महाराष्ट्र सरकार ड्राइ-डे यानी शराब बिक्री पर रोक का दिन की संख्या कम के बारे में सोच रही है। प्रधान सचिव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है जिसने ड्राइ-डे को निरर्थक माना है। इस समिति ने करीब 70 बिंदुओं पर विचार किया है। महाराष्ट्र में पूरे साल नौ दिन ड्राइ-डे रहते हैं। इसके अलावा स्थानीय निकाय से लेकर लोकसभा के चुनाव मतदान व मतगणना के दिन भी उस क्षेत्र में ड्राइ-डे लागू किया जाता है।
बता दें कि साल के पहले महीने में गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) और शहीद दिवस (30 जनवरी) को ड्राई-डे रहता है। इसके अलावा महाराष्ट्र दिवस (1 मई), महात्मा गांधी जयंती (2 अक्टूबर) दशहरा, स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), अनंत चतुर्दशी, आषाढ़ी और कार्तिक एकादशी को ड्राइ-डे रहता है।
ड्राइ-डे पर शराब की दुकानें बंद रहती हैं और छोटे होटल्स, बार और क्लब्स में भी शराब सर्व नहीं की जाती है।
बता दें कि शराब के कारोबार को आसान करने के लिए 30 जून 2018 को विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में एक सात सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। कारोबारियों को करोबार सुलभ कराने के लिए 'ईज ऑफ डूईंग बिजनेस' लागू किया है।
इस समिति ने अपनी इस रिपोर्ट में कई सवाल उठाए हैं। अपने रिसर्च में उन्होंने ड्राइ-डे को निरर्थक पाया है। उनके मुताबिक जिन्हें शराब पीनी हो वे ड्राइ-डे पर भी किसी ने किसी तरह का बंदोबस्त कर ही लेते हैं। कारोबारी खुद स्वीकारते हैं कि शराब की बिक्री ड्राइ-डे में अवैध तरीके से होती है। शराब उद्योग भी ड्राइ-डे की संख्या कम पर जोर देता है।
इन सवालों के जवाब चाहिए
समिति की रिपोर्ट ने सवाल उठाया है कि ड्राइ-डे पर छोटे-छोटे होटल और क्लब में शराब नहीं परोसी जाती लेकिन फाइव स्टार होटलों और बड़े क्लबों में शराब सर्व होती है। ड्राइ-डे के दिन भी उच्च वर्ग शराब का सेवन करता है, जबकि मध्यम व गरीब वर्ग पर ही पाबंदी क्यों? समिति ने शहीद दिवस, अषाढ़ी, दहशरा और कार्तिक एकादशी पर ड्राइ-डे रखे जाने पर मुद्दा उठाया है।