मल्टीमीडिया डेस्क। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा शिर्डी के सांई बाबा के जन्मस्थान पाथरी को लेकर दिए गए बयान के बाद एक नई राजनीतिक और धार्मिक बहस शुरू हो गई है। जहां उद्धव ठाकरे द्वारा शिर्डी के सांई बाबा का जन्म स्थान पाथरी संवारने के लिए 100 करोड़ देने की घोषणा किए जाने के बाद पाथरी में उत्साह का माहौल है वहीं दूसरी तरफ शिर्डी में इसका विरोध शुरू हो गया है। इसे लेकर कुछ संगठनों ने 19 जनवरी को बंद बुलाने का ऐलान भी किया है। आईए आज हम आपको बताते हैं उस पाथरी गांव के बारे में जहां सांई बाबा के जन्म की बात कही जाती है। इस गांव में एक मंदिर बना हुआ है जिसमें सांई बाबा की मूर्ति रखी हुई है। हालांकि, सांई बाबा की जन्मस्थली को लेकर दो जगहों का एक ही नाम होने से एक नई बहस शुरू हो सकती है।
यह है पाथरी की कहानी
दरअसल, पाथरी नाम के दो राज्यों में दो अलग गांव होने का दावा किया जाता है। एक गांव जहां महाराष्ट्र में है वहीं दूसरा गांव आंध्र प्रदेश में है। हालांकि, महाराष्ट्र के गांव पाथरी को ही सर्वमान्य रूप से सांई बाबा का जन्मस्थान माना जाता है। कहा यह भी जाता है कि आजादी के बाद जब राज्य बने तो आंध्र प्रदेश में मौजूद पाथरी महाराष्ट्र का हिस्सा बन गया। सांई बाबा के जन्मस्थान को लेकर कई किताबो में जिक्र है और इनमें काशीराम की किताब कलयुग में सांई अवतार के अलावा शशिकांत शांताराम गडकरी की किताब सद्गुरु सांई दर्शन के अलावा अन्य कई किताबों में इस बात का दावा है कि सांई बाबा का जन्म पाथरी में हुआ था।
शांतारम गडकरी कि किताब असल में कन्नड़ में लिखी बी.व्ही. सत्यनारायण राव की किताब को हिंदी में लिखी गई है। इसमें जो जानकारी दी गई है उसके अनुसार, पाथरी में बाबा का जन्म हुआ। यहां उनकी कई चीजें भी रखी हुई हैं। कुछ लोगों को मानना है कि बाबा का जन्म 28 सितंबर 1835 को परभणी जिले के पाथरी में हुआ था वहीं कुछ 27 सितंबर 1838 को आंध्र प्रदेश के पाथरी गांव में मानते हैं।
दावा यह भी किया जाता है कि सांई बाबा का जन्म अंग्रेजों के शासनकाल में निजाम स्टेट में पड़ने वाली पातरी में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। कहा जाता है कि बाबा के वंशजों में भुसारी परिवार है जो आज भी है। औरंगाबाद में रहने वाले भुसारी परिवार के संजय भुसारी ने 2015 में एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में दावा किया था कि वो बाबा के वंशज हैं। संजय भुसारी के अनुसार सांई बाबा का नाम हरिभाऊ भुसारी था और उनके पिता का नाम परशुराम भुसारी था।
गडकरी कि किताब सद्गुरु सांई दर्शन में भी इसका जिक्र है कि सांई ब्राह्मण परिवार में जन्म थे और उनके पिता का नाम गंगाभाऊ और माता का नाम देवकीगिरी था। कुछ लोग इन्हें भगवंत राव और अनुसूया अम्मा भी कहते हैं। कहा जाता है कि इस गांव में आज भी वो घर है जहां सांई का जन्म हुआ। इस घर को भुसारी परिवार के ही रघुनाथ भुसारी ने साई ट्रस्ट को दिया था जिसके कागजात आज भी मौजूद हैं।
सांई बाबा के जन्मस्थान को लेकर जो विवाद शुरू हुआ है उसे लेकर तरह-तरह के बयान आ रहे हैं। हालांकि, यहां जो भी जानकारी दी गई है वो भुसारी परिवार व अन्य दावों के आधार पर है। इसके अलावा पाथरी और शिर्डी में मौजूद कागजात भी भुसारी परिवार के पाथरी से होने का दावा करते हैं लेकिन बाबा के पाथरी में जन्म लेने को लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल सका है। किताबों और दावों के आधार पर ही यह सारी बातें कही जा रही हैं और नईदुनिया इसकी पुष्टी नहीं करता।