मुंबई। 14 साल के स्कूली छात्र के आत्महत्या के बाद से देश में ऑनलाइन सुसाइड गेम ब्लू व्हेल की चर्चा हो रही है। विशेषज्ञ आशंका जता चुके हैं कि देश में इसे घातक गेम के चक्रव्यूह में और भी लोग फंसे हो सकते हैं। अब आईटी और सायबर एक्सपर्ट्स ने कहा है कि यदि देश में लोग इस तरह के सुसाइड गेम खेलने लगेंगे तो उन्हें रोक पाना बहुत मुश्किल होगा।
सायबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्लू व्हेल कोई सामान्य गेम नहीं है, जिसे प्ले स्टोर या किसी अन्य ऐप से डाउनलोड किया जा सके। बल्कि यह गेम एक कम्युनिटी के जरिए दुनियाभर में बच्चों को मुहैया कराया जा रहा है।
सायबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रितेश भाटिया के अनुसार, इस सुसाइड गेम को पूरी तरह से बैन नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह कहां से अपलोड किया जा रहा है, यह पता लगाना संभव नहीं है। इस तरह यह गेम सरकार के लिए चुनौती बन सकता है।
इस चैलेंज को कंट्रोल करने वाले अलग-अलग चैटरूम में बैठे रहते हैं, जो बच्चों और किशोरों से संपर्क साधे रहते हैं। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए बच्चों को यह गेम खेलने के लिए लुभाया जा रहा है। शुरुआत आसान गेम से होती है जो चरण दर चरण मुश्किल होते जाते हैं। आखिरी में आत्महत्या के लिए उकसाया जाता है।
भाटिया की नजर में यदि ब्लू व्हेल को भारत में आने और फैलने से रोकना है तो बच्चों के बीच लोकप्रिय सोशल ऐप्स पर नजर रखना होगी। साथ ही ऑनलाइन सर्च और एक्सेस पर भी नजर रखना होगी। किसी भी साइट पर ब्लू व्हेल सुसाइड गेम का संकेत मिलता है तो उसे तत्काल ब्लॉक कर दिया जाना चाहिए। सरकार तो अपने स्तर पर काम करेगी, लेकिन माता-पिता को भी बच्चों पर ध्यान देने की जरुरत है।
वहीं एडवोकेट और सायबर लॉ एक्सपर्ट विकी शाह का मानना है कि अभी तो इसकी जांच होना चााहिए कि ब्लू व्हेल क्या है? यह सॉफ्टवेयर है, या कोई गेम है या फिर चैट रूम है?
इसी तरह सायबर सायकोलॉजिस्ट निराली भाटिया का कहना है कि बच्चों के बर्ताव पर नजर रखी जाना चाहिए। यदि किसी मनोवैज्ञानिक की मदद लगे तो तुरंत ही लेना चाहिए।