मुंबई। शिवसेना के संस्थापक और एनडीए के सूत्रधार रहे बाला साहेब ठाकरे की पुण्य तिथि (17 नवंबर) को मुंबई के शिवाजी पार्क में शिवसैनिकों सहित कई नेताओं ने आकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस बीच महाराष्ट्र की राजनीति अगल ही करवट ले रही है। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के बीच सरकार गठन को लेकर जद्दोजहद में कभी कांग्रेस और एनसीपी की धुर विरोधी रही शिवसेना अब महाराष्ट्र में इन्हीं दलों के साथ मिलकर सत्ता पर काबिज होने को तैयार है।
बताते चलें कि देवेंद्र फडनवीस पहले बाला साहेब ठाकरे को श्रद्धांजलि देने के लिए जाते रहे हैं। मगर, इस बार उन्होंने सिर्फ ट्विटर पर उनके बारे में लिखा है और वह खुद वहां नहीं पहुंचे हैं। वहीं, एनसीपी नेता कभी भी श्रद्धांजलि देने नहीं गए थे, लेकिन इस बार एनसीपी नेता शरद पवार, छगन भुजबल सहित कई बड़े नेता शिवाजी पार्क पहुंचे हैं। कांग्रेसी नेता भी पहली बार बाला साहेब ठाकरे श्रद्धांजलि देने जा रहे हैं, जो राजनीति में मौकापरस्ती को उजागर करती है।
शिवसेना ने भाजपा गठबंधन से पूरी तरह से किनारा कर लिया है। मगर, बाल ठाकरे की पुण्यतिथि पर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट कर उनकी तारीफ की है। उन्होंने लिखा- बाला साहेब से स्वाभिमान की सीख मिली है। माना जा रहा है कि इसके जरिये उन्होंने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। पहला यह कि भाजपा अभी भी शिवसेना के साथ मिलने को तैयार है। दूसरा यह कि यदि बाला साहेब होते, तो एनसीपी और कांग्रेस के साथ शिवसेना कभी नहीं जाती।
स्वाभिमान जपण्याचा मूलमंत्र आदरणीय बाळासाहेबांनी आपल्या सर्वांना दिला ! pic.twitter.com/sPdALKDlzS
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) November 17, 2019
उधर, भाजपा नेता नितिन गडकरी और एनसीपी मुखिया शरद पवार ने भी ट्वीट कर बालासाहेब को याद किया है।बता दें कि बाला साहेब का जन्म 23 जनवरी 1926 को हुआ था और उन्होंने 17 नवंबर 2012 को यह देह त्याग दी थी। उन्होंने साल 1966 में बेहद सादगी के साथ शिवसेना की स्थापना की थी।
प्रादेशिक अस्मितेचा हुंकार स्वाभिमानाने मिरवणारा मराठी माणूस स्व. बाळासाहेब ठाकरे यांनी उभा केला. समाजकारणाला अग्रक्रम देणारं राजकारण, अमोघ वक्तृत्व, रोखठोक स्वभाव यामुळेच त्यांना अनुयायांचं निरपेक्ष आणि चिरंतर प्रेम मिळालं. त्यांच्या स्मृतिदिनी त्यांना विनम्र अभिवादन! pic.twitter.com/9YO1YX3rsp
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) November 17, 2019
गौरतलब है कि शिवसेना के मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग को लेकर महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा के रास्ते अलग-अलग हो गए हैं। शिवसेना के नेता संजय राउत साफ कर चुके हैं कि सोमवार को शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र से पूर्व रविवार को दिल्ली में होने वाली एनडीए के घटक दलों की बैठक में शिवसेना शामिल नहीं होगी।
राउत ने कहा कि एनडीए से औपचारिक रूप से बाहर आना अब महज एक औपचारिकता रह गई है। वहीं, राज्यसभा में शिवसेना के सांसदों के बैठने की जगह बदल दी गई है। पहले वे राज्यसभा में सरकार की तरफ बैठते थे, अब वे विपक्ष की खेमे के पांचवीं कतार में बैठेंगे।