नई दिल्ली। मराठा साम्राज्य की स्थापना करने वाले महाराज छत्रपति शिवाजी अपने दौर के सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं में से एक थे। आज से 344 साल पहले 6 जून 1674 को उनका राज्याभिषेक हुआ था।
1674 से पहले शिवाजी सिर्फ एक स्वतंत्र शासक थे और उनका राज्याभिषेक नहीं हुआ था। इसका मतलब वह आधिकारिक तौर पर साम्राज्य के शासक नहीं थे। शिवाजी ने कई लड़ाइयां जीतीं थीं लेकिन बतौर राजा उन्हें स्वीकार नहीं किया गया था। उस दौर में कई मराठा सामंत ऐसे थे, जो शिवाजी को राजा मानने को तैयार नहीं थे।
इस राज्याभिषेक का पहले मराठावाड़ के ब्राह्मणों ने विरोध किया था लेकिन विद्वान गागा भट्ट ने उन्हें मनाया और फिर राज्याभिषेक की तैयारियां शुरू हुई। इन्हीं सब चुनौतियों पर काबू पाने के लिए उन्होंने राज्याभिषेक की तैयारियां शुरू कीं।
शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक पूरे वैदिक परंपरा और रीति-रिवाज से ही हुआ था। मंत्रोचारण कर उन्हें राजा की वेशभूषा भी पहनाई गई। शिवाजी उनमें से एक हाथी पर बैठकर रायगढ़ की सड़कों पर उतरे। शिवाजी के अलावा उनके 8 अन्य मंत्रियों ने भी इस मौके पर अपनी उपाधि ग्रहण करी थी।
जब शिवाजी ने भरे दरबार में औरंगजेब को कहा विश्वासघाती
शिवाजी की पैतृक जायदाद बीजापुर के सुल्तान द्वारा शासित दक्कन में थी। बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह ने बहुत से दुर्गों से अपनी सेना हटाकर उन्हें स्थानीय शासकों के हाथों सौंप दिया था। 16 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते उन्हें विश्वास हो गया कि हिन्दुओं की मुक्ति के लिए संघर्ष करना होगा। शिवाजी ने अपने विश्वासपात्रों को इकट्ठा कर अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी। जब आदिलशाह बीमार पड़ा तो शिवाजी ने इस मौके लाभ उठाकर बीजापुर में प्रवेश करने का फैसला लिया। उन्होंने टोरना किले का कब्जा हासिल कर लिया।
1659 में आदिलशाह ने अपने सेनापति को शिवाजी को मारने के लिए भेजा। दोनों के बीच प्रतापगढ़ किले पर युद्ध हुआ। इस युद्ध में वे विजयी हुए। शिवाजी की बढ़ती ताकत को देखते हुए मुगल सम्राट औरंगजेब ने जय सिंह और दिलीप खान को शिवाजी को रोकने के लिए भेजा। उन्होंने एक समझौते पर शिवाजी से हस्ताक्षर करने को कहा। समझौते के मुताबिक उन्हें मुगल शासक को 24 किले देने होंगे।
टिप्पणियां समझौते के बाद शिवाजी आगरा के दरबार में औरंगजेब से मिलने के लिए गए। वह 9 मई, 1666 ई को अपने पुत्र शम्भाजी एवं 4000 मराठा सैनिकों के साथ मुग़ल दरबार में उपस्थित हुए, परन्तु औरंगजेब द्वारा उचित सम्मान न मिलने पर शिवाजी ने भरे हुए दरबार में औरंगजेब को विश्वासघाती कहा। इससे औरंगजेब ने उन्हें एवं उनके पुत्र को 'जयपुर भवन' में कैद कर दिया।
शिवाजी 13 अगस्त, 1666 ई को फलों की टोकरी में छिपकर फरार हो गए और को रायगढ़ पहुंचे। सन 1674 तक शिवाजी ने उन सारे प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था, जो पुरन्दर की संधि के अन्तर्गत उन्हें मुगलों को देने पड़े थे।
उन्होंने मराठाओं की एक विशाल सेना तैयार कर ली थी। उन्हीं के शासन काल में गुरिल्ला के युद्ध प्रयोग का भी प्रचलन शुरू हुआ। उन्होंने नौसेना भी तैयार की थी। भारतीय नौसेना का उन्हें जनक माना जाता है। अप्रैल 1680 को बीमार होने पर उनकी मृत्यु हो गई थी।